scriptVideo- शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा, जानें चक्रधर समारोह में पहुंचे लोक कलाकार चंद्राकर ने और क्या कहा… | The state will become a paradise within a month due to liquor ban | Patrika News

Video- शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा, जानें चक्रधर समारोह में पहुंचे लोक कलाकार चंद्राकर ने और क्या कहा…

locationरायगढ़Published: Sep 20, 2018 05:10:40 pm

Submitted by:

Shiv Singh

चक्रधर समारोह को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उनका कहना था कि यह मंच बहुत गौरवशाली है। इस मंच पर कार्यक्रम देना सौभाग्य की बात है।

शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा, जानें चक्रधर समारोह में पहुंचे लोक कलाकार चंद्राकर ने और क्या कहा...

शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा, जानें चक्रधर समारोह में पहुंचे लोक कलाकार चंद्राकर ने और क्या कहा…

रायगढ़. बिहार सहित अन्य प्रांतों में शराब बंदी लागू की जा सकती है तो इस प्रदेश में भी शराब बंदी किया जाना चाहिए। शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा। यह कहना है छत्तीसगढ़ लोक रंग के कलाकार दीपक चंद्राकर का। दीपक चंद्राकर चक्रधर समारोह की 8वीं शाम छत्तीसगढ़ लोकरंग अर्जुंदा कार्यक्रम की प्रस्तुति देने शहर पहुंचे थे। कार्यक्रम से पूर्व उनकी प्रेस वार्ता एक होटल में आयोजित की गई थी।
प्रेस वार्ता के दौरान दीपक चंद्राकर का कहना था कि लोक कला में कुर्ता को शामिल करने वाले जल्दी लोकप्रिय होने के लिए ऐसा करते हैं, जबकि लोग भी उसे स्वीकार नहीं करते। वहीं छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोग भी छत्तीसगढ़ी भाषा बोलने से परहेज करने के सवाल पर उनका कहना था कि यह ऐसे लोग करते हैं जो गांव से शहर आकर बसते हैं जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
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छत्तीसगढ़ी फिल्म के ज्यादा नहीं चलने को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ी फिल्म जो बनाई जा रही है उसमें मुंबई को कॉपी किया जा रहा है जिसकी वजह से यहां के लोग फिल्म को पसंद नहीं कर रहे। चक्रधर समारोह को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उनका कहना था कि यह मंच बहुत गौरवशाली है। इस मंच पर कार्यक्रम देना सौभाग्य की बात है। वहीं कलाकार को मंच में प्रस्तुति देना ही उनका सम्मान हो जाता है।
शराब बंदी होने से प्रदेश एक माह में ही स्वर्ग बन जाएगा, जानें चक्रधर समारोह में पहुंचे लोक कलाकार चंद्राकर ने और क्या कहा...

स्थानीय भाषा को बचाने का प्रयास
एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ी भाषा को बचाने के लिए यहां के लोगों को ही प्रयास करना होगा। वहीं उन्होंने कहा कि वह अधिकांश तौर पर अपने कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ी यंत्रों का प्रयोग करते हैं। इसी तरह कहीं कार्यक्रम देने जाते हैं तब भी वह अपनी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में ही बातचीत करते हैं।

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