कोरोना के कहर से सहमे रेल यात्री, धडाधड़ हो रहा है ट्रेन और टिकट कैंसल
आसपास के ग्रामीण जलावन व इमारती लकडिय़ों की चोरी करते थे। कार्रवाइयों और समझाइशों के बाद भी लकड़ी चोरी नहीं थम रही थी। लेकिन इन दिनों लकड़ी चोर कदम रखने से डरते हैं। चूंकि सर्प मित्र नाम की संस्था ने वन विभाग के साथ शहर से पकड़े गए विभिन्न प्रजातियों के सांपों को यहां छोडऩा शुरू कर दिया है।
सर्प मित्र के पदाधिकारी बताते हैं कि पहले अतरमुड़ा रोड के पीछे सांप छोड़ते थे। वहां अब मेडिकल कॉलेज बन गया। इसलिए हमें नई जगह की तलाश थी। वन विभाग ने जुनवानी का सुझाव दिया। चूंकि संस्था हर महीने 150 सांप पकड़ती है। यहां अब तक करीब साढ़े पांच हजार सांप छोड़े गए हैं।
महीने में होती थी 10 से 12 घटनाएं, अब बंद
सांप छोड़े जाने से पहले इस जंगल में महीने में 10 से 12 घटनाएं लकड़ी चोरी की होती थी। लेकिन सांपों के बढ़ते कुनबे के चलते अब यह थम गई हैं। सांपों की संख्या को देखते हुए इस जंगल में अब मोरों और नेवलों का कुनबा भी बढ़ गया है।
पकड़े गए सांपों का उचित रहवास जरूरी है। जुनवानी के जंगल में पर्याप्त बांबी हैं।
– विनितेश तिवारी, सर्प मित्र संस्था
3 साल पहले तक जुनवानी में लकड़ी तस्करों ने नाक में दम कर रखा था। अब सांपों का बसेरा होने से लकड़ी चोर घुसने से डरते हैं।
– राजेश्वर मिश्रा, रेंजर, रायगढ़ वन परिक्षेत्र