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शहीद पिता का तिरंगे में लिपटा शव देख बिलख-बिलख कर रोईं मासूम बेटियां, नम आखों से पिता ने दी सलामी

locationरायगढ़Published: Mar 23, 2020 08:17:32 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Naxalite encounter: सोमवार की दोपहर विनोबानगर लाया गया शहीद गीतराम राठिया का शव, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी लोगों की भीड़

शहीद पिता का तिरंगे में लिपटा शव देख बिलख-बिलख रोईं मासूम बेटियां, नम आखों से पिता ने दी सलामी

शहीद पिता का तिरंगे में लिपटा शव देख बिलख-बिलख रोईं मासूम बेटियां, नम आखों से पिता ने दी सलामी

रायगढ़. सुकमा जिले के मिसमा और कसालपाड़ के जंगलों में शनिवार को सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में प्रदेश के 17 जवान शहीद हो गए थे। शहीदों में रायगढ़ जिले का लाल सिंघनपुर निवासी गीतराम राठिया भी शामिल था। जिसका शव सोमवार की दोपहर करीब तीन बजे उनके निवास स्थान विनोबा नगर लाया गया।
गीतराम के अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ लगी हुई थी। वहीं पुलिस बल भी मौके पर तैनात थी। करीब 10 मिनट शहीद के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन और पूजा-अर्चना करने के बाद उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए उसके गृहग्राम सिंघनपुर रवाना कर दिया गया। जहां शाम में उसका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के पिता ने नम आखों से कहा कि गीतराम उसका इकलौता संतान था। उसकी शहादत को सलाम करता हूं।
आंख में आंसू लिए दबी जुबां से गीतराम के पिता परमानंद राठिया ने बताया कि गीतराम एसटीएफ का जवान था। वहीं वे भूपदेवपुर के ग्राम सिंघनपुर के रहने वाले हैं। परमानंद शासकीय कर्मचारी थे। करीब 35 साल पूर्व परमानंद राठिया का ट्रांसफर रायगढ़ हुआ तब वे रायगढ़ कलेक्टोरट में प्यून की नौकरी पर थे। ऐसे में परमानंद राठिया सिंघनपुर स्थित अपने पुस्तैनी मकान को छोड़ परिवार सहित रायगढ़ विनोबानगर आ गए और यहां मकान बना कर कलेक्टोरट में ड्यूटी करने लगे। उस वक्त गीतराम छोटा था। उसका बचपन विनोबानगर में ही गुजरा।
गीतराम ने अपनी पढ़ाई प्रज्ञा विद्या मंदिर, शालिनी स्कूल, नटवर स्कूल सहित शहर के ही अन्य स्कूलों में पूरी की। इसके बाद वह पुलिस बल में भर्ती हो गया था। परमानंद राठिया ने बताया कि करीब 30 साल वह प्यून की नौकरी करने के बाद रिटार्यड हो गया है। रविवार को अमर शहीद गीतराम राठिया की शहादत की खबर जैसे ही उसके परिजनों और मोहल्लेवासियों को मिली पूरे इलाके में मातम पसर गया।
शहीद के गृहग्राम सहित रायगढ़ क्षेत्र के आसपास के लोग उसके घर पहुंच कर पीडि़त परिजनों को ढांढस बंधा रहे थे। सोमवार की सुबह से ही शहीद के घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ था। वहीं पूरा मोहल्ला रो-रो कर शहीद के जज्बे को सलाम कर रहा था।

मोहल्लेवासियों की मांग पर शव को लाया गया विनोबानगर
सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे शहीद की पत्नी, मां, बच्चे व परिवार के अन्य सदस्य बस के माध्यम से उनके गृहग्राम सिंघनपुर के लिए रवाना हो गए, लेकिन विनोबानगरवासियों की मांग थी कि अंतिम दर्शन के लिए गीतराम का पार्थिव शरीर एक बार विनोबानगर आए। ऐसे में गीतराम के पिता ने भी उनका समर्थन दिया और दोपहर करीब दो बजे सुकमा से शहीद जवान का पार्थिव देह जिंदल एयर स्ट्रीप लाया गया। इसके बाद दोपहर तीन बजे पार्थिक देव को विनोबानगर ले जाया गया। यहां बोईरदादर चौक के पास सैकड़ों लोग फूल का माला लिए कतार बना कर इंतजार कर रहे थे। जैसे ही पार्थिव देह मौके पर पहुंचा तो लोग फूट-फूट कर रोने लगे।

चूंकि भीड़ काफी ज्यादा थी और कोरोना वायरस के चलते पुलिस को भीड़ पर भी काबू करना था, इसलिए पार्थिव शरीर को वाहन से नीचे नहीं उतारा गया। वहीं 10 मिनट के अंदर ही लोग पूजा-अर्चना कर फूल-माला चढ़ाते हुए अंतिम दर्शन किए। इसके बाद पार्थिव शरीर को सिंघनपुर के लिए रवाना कर दिया गया।

दो बेटियों के सिर से उठ गया पिता का साया
शहीद के पिता परमानंद ने बताया कि गीतराम की दो बेटियां एक 11 साल व एक आठ साल की है। शहीद पिता का शव देखते ही उनकी आंखों में आंसू आ गए। एक तो गीतराम भी इकलौता था और उसके चले जाने से उनकी दोनों बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया है। वहीं गीतराम की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस शहीद परिवारों के साथ है।

गीतराम के पिता ने बताया कि गीतराम विनोबानगर स्थित अपने मकान को बनवा रहा था, जिससे वे सब पास ही में किराए के मकान में रह रहे हैं। होली के पूर्व ही वह अपने घर आया था। गीतराम के दोस्तों ने रोते हुए बताया कि वह उन्हें होली मनाने के लिए कुछ रुपए भी देकर गया था। उसके इस तरह दूर चले जाने से सभी सदमें में हैं।

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