इस संबंध में कर्मचारी बैंक प्रबंधन से बात करने जाते हैं तो उनसे कोई बात ही नहीं करता। वहीं कंपनी प्रबंधन भी बैंक की तरह पल्ला झाड़कर कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर रही है। ऐसे में कर्मचारी कंपनी प्रबंधन से जवाब-तलब कर रही है तो उन्हें जहां जाकर शिकायत करना है जाओ जैसे शब्दों का प्रयोग कर भगा दिया जा रहा है। इससे कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। साथ ही कर्मचारी व उसके परिवार वालों को आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में वे न्याय की आस में कलेक्टोरेट पहुंचे हुए थे।
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बच्चों को स्कूल नहीं आने दे रहे नोटिस
शिकायत करने पहुंचे कर्मचारियों ने बताया कि कई माह से वे अपने बच्चों की स्कूल फीस नहीं पटा पा रहे हैं। इससे स्कूल प्रबंधन उनके बच्चों को नोटिस देकर स्कूल नहीं आने को कह रहे हैं। इससे उनके बच्चों का अध्यापन कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इस स्थिति में भी इन कर्मचारियों का कोई साथ नहीं दे रहा है।
आचार संहिता में आने की मजबूरी
शिकायतकर्ताओं से यह पूछा गया कि वर्तमान में आदर्श आचार संहिता चल रहा है, इसके बाद भी वे दर्जनों की संख्या में समूह बना कर क्यों शिकायत करने पहुंचे हैं, तब उन्होंने कहा कि अब उनके सामने भूख से मरने की नौबत आ गई तो वे चुनाव समाप्त होने का इंतजार करते रहते। उन्हें भी इस बात का ज्ञान हैए लेकिन मजबूरी ही उन्हें न्याय की उम्मीद में खींच कर ले आई।