इसलिए ग्रोथ की है गुंजाइश
जानकारों की मानें तो टूथब्रश से लेकर कुर्सी तक सभी चीजों में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इसका मतलब यह हुआ कि प्लास्टिक का हमारे जीवन में काफी महत्त्व है। लेकिन भारत में अभी प्लास्टिक उद्योग शुरुआती चरण में है। इस वजह से अभी इस फील्ड में ग्रोथ की काफी गुंजाइश है। जब किसी फील्ड में ग्रोथ की संभावना होती है तो वहां करियर का भी खूब मौका होता है। ऐसा ही प्लास्टिक इंडस्ट्री के साथ है।
मिलती है ये ऑपर्चुनिटी
सिपेट रायपुर में पाठ्यक्रम व अवधि
पीजीडी पीपीटी 2 वर्ष बीएससी
डीपीएमटी 3 वर्ष दसवीं
डीपीएमटी 3 वर्ष दसवीं
डीपीएमटी 2 वर्ष 12वीं पीसीएम
डीपीटी 2 वर्ष दसवीं और आईटीआई
आईआईटी और एनआईटी से एमओयू
सिपेट रायपुर के डायरेक्टर आलोक साहू ने बताया, हमने गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए एनआईटी और आईआईटी संग एमओयू की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सब कुछ ठीकठाक रहा तो दोनों संस्थानों के साथ मिलकर प्लास्टिक फील्ड में रिसर्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सिपेट रायपुर से पासआउट 85 परसेंट छात्र इंडस्ट्री ज्वाइन कर लेते हैं। 12 फीसदी हायर एजुकेशन में चले जाते हैं जबकि 3 प्रतिशत छात्र इंटर्नशिप करते हैं।हर साल प्लास्टिक में इनोवेशन
प्लास्टिक लोगों की रुटीन का हिस्सा बन चुका है। देश में 40 सिपेट हैं जिनमें से 2 छत्तीसगढ़ में हैं। यहां दसवीं के बाद डिप्लोमा और डिग्री कोर्स की सुविधा है। होम एप्लायन्जेस, इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर में प्लास्टिक का अहम रोल है। हर साल प्लास्टिक में इनोवेशन हो रहे हैं और नए सेगमेंट को पकड़ा जा रहा है। प्लास्टिक का यूज 35-40 फील्ड में है। समय के साथ यह सेगमेंट और आगे आएगा। जिससे इंडस्ट्री में प्लास्टिक इंजीनियर की जरूरत होगी।