ये भी पढ़ें : प्रधानमंत्री बनते ही नरेन्द्र मोदी को इन कारणों से 6 बार आना पड़ा छत्तीसगढ़ नक्सली लोकतंत्र के चुनावी प्रक्रिया का विरोध करते हैं, ऐसे में बस्तर के अंदरूनी इलाकों में प्रशासन के लिए मतदान करवाना भी किसी चुनौती से कम नहीं रहता। कई बार चुनाव के दौरान हिंसात्मक वारदातें भी हुई और जान-माल का नुकसान भी उठाना पड़ा है।
ये भी पढ़ें : चुनावी महासंग्राम : अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर माया-जोगी का जोर यही कारण है कि चुनाव आयोग सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्र सुरक्षित जगह देखकर करीब के इलाके में स्थानांतरित कर देता है। पिछली बार बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों के 185 बूथों को नक्सलियों के भय के चलते स्थानांतरित किया गया था। सबसे ज्यादा बीजापुर विधानसभा क्षेत्र के 59 केंद्रों को स्थानांतरित किया गया। इसके बाद कोंटा विधानसभा का नंबर आता है, जहां के 42 मतदान केंद्रों को स्थानांतरित किया गया था।
ये भी पढ़ें : कार्यकर्ताओं पर चला अमित शाह का जादू, पार्टी को मिली संजीवनी बस्तर रेंज आईजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि पिछले पांच सालों में नक्सलियों के कोर एरिया में कई पुलिस कैंप खोले गए हैं। इसलिए मतदान केंद्रों को स्थानांतरित करने की संख्या में इस बार काफी कमी आएगी। पुलिस प्रशासन तो ज्यादा से ज्यादा केंद्रों में वोटिंग कराने के पक्ष में हैं, लेकिन अंतिम फैसला चुनाव आयोग का होगा।