एसईसीआर के सूत्रों के मुताबिक इससे पहले गत 30 जुलाई ईतवारी(नागपुर) से भिलाई तक इसी लोकोमोटिव रेल इंजन के जरिए मालगाड़ी चलायी गयी थी। मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री और फ्रांसिसी कंपनी के संयुक्त प्रयास से 12 हजार अश्व शक्ति वाले इस लोकोमोटिव इंजन काे तैयार किया गया है और इसका उपयोग उपयोग मालगाडियों के संचालन के लिए होगा ।
इसे बनाने के साथ ही भारत 10 हजार हार्सपावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का छठा देश बन गया है। इस इंजन की मालवाहक क्षमता डब्लू ए जी-9 से दोगुना है । इसकी सामान्य गति भी 100 किलोमीटर प्रति घंटा है । इसे 120 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से भी चलाया जा सकता है । लोकोमोटिव एक तीन फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है । इसकी लंबाई 35 मीटर है । इसमें एक हजार लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के दो टैंक है ।
इस थ्री फेस लोकोमोटिव के दो यूनिट है, जिसके प्रत्येक यूनिट में ट्विन बो-बो प्रकार की बोगिया है तथा उनमें 08 ट्रैकशन मोटर 08 एक्सलो पर स्थापित है । इन लोकोमोटिवों को इस प्रकार की संरचना के कारण ही इनका ना केवल कार्य निष्पादन अन्य लोकोमोटिव की तुलना में अत्यधिक उन्नत है, बल्कि ऊर्जा का व्यय एवं अनुरक्षण का खर्च भी कम है । यह इंजन पारंपरिक ओएचई लाइनों वाली रेलवे पटरियों के साथ ही ऊंचे ओएचई लाइनों वाले (फ्रेट डेडिकेटेड) समर्पित माल गलियारों पर भी परिचालन करने में सक्षम है ।
इंजन में दोनों ही तरफ वातानुकूलित ड्राइवर कैब हैं । इंजन पुनरुत्पादक ब्रेकिंग सिस्टम से लैस है जो परिचालन के दौरान पर्याप्त ऊर्जा बचत सुनिश्चित करता है । ये उच्च अश्वशक्ति वाले इंजन मालवाहक ट्रेनों की औसत गति को बढ़ाकर अत्यधिक इस्तेमाल वाली पटरियों पर भीड़ कम करने में मदद करेंगे । नयी पीढ़ी की इस लोकोमोटिव इंजन के माध्यम से रेल परिचालन शुरू होने से चढ़ाई वाले रेल खंडो में मालगाड़ियों के पीछे लगाए जाने वाले बैकर इंजनो की आवश्यकता समाप्त होगी तथा मालगाड़ियों की गति बढ़ने से सेक्शन में ज्यादा गाड़ियों के परिचालन के साथ ही यात्री गाड़ियों की समयबद्धता में भी सुधार होगा ।