बता दें इस नियुक्ति के लिए शिक्षकों ने लंबा संघर्ष किया है। उन्होंने सड़क की लड़ाई लड़ी और उनके खिलाफ जुर्म भी दर्ज हुआ है। राज्यपाल ने भी इसे लेकर हस्ताक्षेप किया था। विपक्ष ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही कह दिया कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होगा। व्याख्याताओं की नियुक्ति का आदेश फरवरी में ही जारी हो गए थे।
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नियुक्ति में देरी की वजह से इन शिक्षकों के लिए बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। आर्थिक रूप से प्रभावित होने के साथ ही शिक्षकों अब तीन साल की परिवीक्षा अवधि में लिए काम करना होगा। इससे पहले दो साल की परिवीक्षा अवधि हुआ करती थी। इस संबंध में वित्त विभाग ने 29 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था, जबकि शिक्षक भर्ती के नतीजे अक्टूबर-नवम्बर 2019 में जारी हुए थे। यदि सभी प्रक्रिया तय समय पर हो जाती, तो शिक्षकों को दो साल की परिवीक्षा अवधि होती। तीन साल की परिवीक्षा अवधि के लिए अलग-अलग तरीके से वेतन मिलेगा। पहले वर्ष न्यूनतम वेतनमान का 70 फीसदी राशि, दूसरे वर्ष 80 फीसदी और तीसरे वर्ष में 90 फीसदी राशि स्टाइपेण्ड के रूप में दी जाएगी।
नियुक्ति में देरी की वजह से इन शिक्षकों के लिए बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। आर्थिक रूप से प्रभावित होने के साथ ही शिक्षकों अब तीन साल की परिवीक्षा अवधि में लिए काम करना होगा। इससे पहले दो साल की परिवीक्षा अवधि हुआ करती थी। इस संबंध में वित्त विभाग ने 29 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था, जबकि शिक्षक भर्ती के नतीजे अक्टूबर-नवम्बर 2019 में जारी हुए थे। यदि सभी प्रक्रिया तय समय पर हो जाती, तो शिक्षकों को दो साल की परिवीक्षा अवधि होती। तीन साल की परिवीक्षा अवधि के लिए अलग-अलग तरीके से वेतन मिलेगा। पहले वर्ष न्यूनतम वेतनमान का 70 फीसदी राशि, दूसरे वर्ष 80 फीसदी और तीसरे वर्ष में 90 फीसदी राशि स्टाइपेण्ड के रूप में दी जाएगी।
2683 व्याख्याताओं की हुई नियुक्ति
14 हजार 580 पदों में व्याख्याताओं के पद भी शामिल थे। बीते शैक्षणिक सत्र में सरकार ने 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को खोलने का फैसला लिया था। इसके बाद इन व्याख्याताओं का एक बार फिर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया था और हर व्याख्याताओं के लिए अलग-अलग नियुक्ति आदेश जारी किया गया था।
494 पदों पर नहीं मिले पात्र उम्मीदवार
राज्य सरकार की भर्ती परीक्षा में हजारों की संख्या में उम्मीदवार शामिल हुए थे। इसके बाद भी व्याख्याताओं के 494 पदों पर एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिल सके। इस वजह से इन पदों पर नियुक्ति आदेश नहीं जारी किया जा सका है। वहीं 321 व्याख्याता ऐसे हैं, जो नियमित तिथि तक पदभार भी ग्रहण नहीं किए हैं।
14 हजार 580 पदों में व्याख्याताओं के पद भी शामिल थे। बीते शैक्षणिक सत्र में सरकार ने 9वीं से 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को खोलने का फैसला लिया था। इसके बाद इन व्याख्याताओं का एक बार फिर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया था और हर व्याख्याताओं के लिए अलग-अलग नियुक्ति आदेश जारी किया गया था।
494 पदों पर नहीं मिले पात्र उम्मीदवार
राज्य सरकार की भर्ती परीक्षा में हजारों की संख्या में उम्मीदवार शामिल हुए थे। इसके बाद भी व्याख्याताओं के 494 पदों पर एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिल सके। इस वजह से इन पदों पर नियुक्ति आदेश नहीं जारी किया जा सका है। वहीं 321 व्याख्याता ऐसे हैं, जो नियमित तिथि तक पदभार भी ग्रहण नहीं किए हैं।