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छत्तीसगढ़ में 1700 पाकिस्तानी नागरिकों को अपने वजूद की तलाश

locationरायपुरPublished: Nov 10, 2017 07:55:47 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

1700 से ज्यादा पाकिस्तान विस्थापित लांग टाइम वीजा पर राज्य में रह रहे हैं, लेकिन लंबी कोशिशों के बाद भी अपना बजूद तलाश रहे हैं।

Pakistani immigrants

1700 Pakistani immigrants live in Chhattisgarh

रायपुर . राजधानी में 272 व प्रदेश में 1700 से ज्यादा पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए परिवार बरसों से भारत में अपना वजूद तलाश रहे हैं। 50 साल में अब तक सिर्फ 51 लोगों को ही नागरिकता मिल पाई है। पाकिस्तान से आए करीब 1700 सिंधी जन भारतीय नागरिकता हासिल करने की कोशिश में लगे हैं।
1971 से इस तरह के कई मामले चल रहे हैं, लेकिन अलग-अलग कारणों और नियमों के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा। प्रदेश में इस तरह के लोगों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है, जो पाकिस्तान छोड़कर यहां आ बसे हैं। समाज से मिली जानकारी के मुताबिक इस तरह के 1700 से ज्यादा विस्थापित लांग टाइम वीजा पर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं, लेकिन लंबी कोशिशों के बाद भी इन्हें नागरिकता नहीं मिल पाई है।
नियमों के खिलाफ हो रहा काम
सिंधी समाज के विस्थापितों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था के मुताबिक भारतीय नागरिकता नहीं होने के कारण मजबूरी में यहां आने वाले पाकिस्तानी सिंधियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें यहां न वोट डालने का अधिकार है और न ही यहां गाड़ी चलाने का। ऐसा इसलिए क्योंकि न तो उनके वोटर आईडी कार्ड बने हैं और न ही लाइसेंस। विस्थापित पहचान-पत्र के अभाव में प्रॉपर्टी खरीदने, शपथ-पत्र बनवाने आदि के काम भी नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन और पुलिस पदाधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं कि नियमों के खिलाफ कई लोगों ने यहां दस्तावेज बनवाने से लेकर प्रॉपर्टी खरीदने तक का काम कर लिया है।
एेसे भी जिनका कोई हिसाब ही नहीं
उपरोक्त संख्या तो उन लोगों की है जो प्रशासन की नजर में है। इन सब से हटकर कुछ पाकिस्तानी और बांग्लादेशी ऐसे भी हैं जो नियमों के खिलाफ बगैर अनुमति के यहां रह रहे हैं। इन्हें नागरिकता मिलना तो दूर, यहां रहने की भी अनुमति नहीं है। न ही वीजा है और न ही रेसिडेंशियल परमिट। पुलिस के जिम्मेदार अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
अब तक सिर्फ 517 को नागरिकता
जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान से हजारों सिंधी रह रहे हैं, जिनके पास भारतीय नागरिकता नहीं है। इनमें कई मामले ऐसे भी हैं जो 1971 से पेंडिंग हैं, लेकिन आज 51 का ही निराकरण हो सका है। जिला प्रशासन का कहना है कि 2015 में 152 आवेदन आए हैं, जिनमें भारतीय नागरिकता हासिल करने की प्रक्रिया पूरी की गई है।
अब कलक्टर को अधिकार
गृह मंत्रालय की अधिसूचना 23 दिसंबर 2016 के अनुसार पाक नागरिकों को नागरिकता प्रदान करने के अधिकार कलक्टरों को दे दिए हैं। कलक्टर को अधिकार मिलने के बाद 51 प्रकरणों में पाकिस्तानियों को नागरिकता दी जा चुकी है और अन्य को दिया जाना है। इस पर कलक्टर अब हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे हैं, ताकि कोई गड़बड़ी ना हो जाए जो उनके लिए भविष्य में मुसीबत बन जाए।
रायपुर के एडीएम संजय दीवान ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा आवेदन भेजने, दस्तावेज और शपथ-पत्र जांचने के साथ ही सर्टिफिकेट देने का काम किया जाता है। नागरिकता देने का काम केंद्र सरकार से ही होता था। अब कलक्टर को अधिकार मिलने के बाद कई प्रकरण निराकृत किए गए हैं।
सेंट्रल सिंधी पंचायत के सलाहकार अमर परवानी ने कहा कि हमारे समाज के लोग जो दूसरे देश में बड़े दु:ख झेलने के बाद देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलने में इतनी कठिन प्रक्रिया का समाना करना पड़ रहा है। समाज इसके लिए लगातार प्रयासरत है कि प्रक्रिया सरल हो।
बगैर नागरिकता कई समस्याएं
– शपथ-पत्र नहीं बनता
– लाइसेंस, वोटर कार्ड नहीं बनता
– राशन कार्ड नहीं मिलता
– बैंक अकाउंट नहीं खुलता
– प्रॉपर्टी नहीं खरीदी जा सकती
– मोबाइल सिम नहीं मिलता

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