स्मार्ट सिटी के तहत 19.40 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी आज सरोना की हालत पहले जैसा हो गया है। तीन वर्ष पहले नगर निगम ने करीब 18 करोड़ रुपए खर्च कर बायो माइनिंग पद्धति यानी केमिकल का इस्तेमाल कर कचरे को उसी जगह पर नष्ट कर पौधरोपण किया। जिसके बाद 1.40 करोड़ रुपये पौधों के रखरखाव लिए खर्च कर डाले. आज वही फिर कचरे का ढेर नजर आ रहा है। बोरवेल्स व ड्रीप पाइप खराब स्मार्ट सिटी द्वारा पौधों को पानी देने के लिए एक बोरवेल्स लगाया गया था, जो पिछले 9 माह से सूखा पड़ा हुआ है, इसके साथ बोरवेल्स का पाइप लाइन टूट चुका है। ड्रीप पाइप के जरिए पेड़ों में पानी पहुंचाने के लिए पूरे क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाई गई थी ,वह भी पूरे तरह से टूटने के साथ-साथ गायब हो गए है।
पेड़ों के सूखने का यह सबसे बड़ा कारण है।
गौरतलब है कि तीन माह पहले स्मार्ट सिटी प्रबंधक आशीष मिश्रा (Smart City Manager Ashish Mishra) ने कहा था कि 2019 से वहां पर जो एजेंसी थी वह अपना कार्य कर रही थी, कोरोना संक्रमण के दौरान कर्मचारियों पहुंचने पर जरूर तकलीफ हुई था। अभी चार माह पहले अनुबंध खत्म हुई है, अब हम दूसरी एजेंसी को सेंड वार करने की तैयारी कर रहे हैं यह प्रक्रिया हमारे संज्ञान पर है जो भी पौधे मरे हैं, उसकी जगह दूसरी लगाए जाएंगे। लेकिन अभी तक किसी भी प्रकार के पौधे लगाए नहीं गए हैं।
नगर निगम, आयुक्त मयंक चतुर्वेदी (Municipal Corporation Commissioner Mayank Chaturvedi) ने कहा कि एमआईसी की बैठक में प्रस्ताव पारित होने के बाद 18 करोड़ रुपए का टेंडर हो चुका है। नगर निगम के सामान्य सभा में पारित होने के बाद सरोना में