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राज्य में 19 बाघ, प्रत्येक पर 50 लाख रुपए हर साल खर्च, फिर भी न ढूंढ रहे न बचा पा रहे

locationरायपुरPublished: Feb 27, 2020 07:33:15 pm

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक

राज्य में 19 बाघ, प्रत्येक पर 50 लाख रुपए हर साल खर्च, फिर भी न ढूंढ रहे न बचा पा रहे

राज्य में 19 बाघ, प्रत्येक पर 50 लाख रुपए हर साल खर्च, फिर भी न ढूंढ रहे न बचा पा रहे

रायपुर. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 19 बाघ ही बचे है। जिस पर वन विभाग के अफसरों को विश्वास नहीं है। एक बाघ पर सालाना 50 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
एनटीसीए की 2014 की रिपोर्ट यह भी कहती है कि प्रदेश में 46 बाघ थे। तो क्या 27 बाघ मारे गए? या फिर वे प्रदेश के थे ही नहीं? या फिर गणना ही गलत थी? ऐसे बाघ संरक्षण पर सवाल खड़े करते हैं। जबकि प्रदेश में एक बाघ पर सालाना 50 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। बाघों के संरक्षण के लिए केंद्र ने 2019-20 में प्रदेश सरकार को 1193.29 लाख रुपए जारी किए थे, इनमें से 954.622 लाख रुपए वन विभाग को जारी चुके हैं। बावजूद इसके न तो इन्हें ढूंढा जा रहा है, न ही इन्हें बचाया जा रहा है। 9 दिसंबर 2019 को कांकेर में एक बाघ की खाल बरामद की गई थी। उधर 24 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई वन्यजीव बोर्ड की बैठक में बाघों के संरक्षण के लिए हुए निर्णयों पर अब तक अमल नहीं हुए हंै।
इनमें प्रमुख रूप से बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एनटीसीए की मदद ली जाएगी। मध्यप्रदेश से चार मादा और दो नर बाघों की रिकॉवरी करने, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की मदद लेना और बाघों की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए रेडियो कॉलर लगाना प्रमुख रूप से शामिल थे।
चौथे चरण की गणना ही नहीं शुरू हो पाई
एनटीसीए ने सभी राज्यों को 15 अक्टूबर से बाघों की गणना के चौथे चरण को शुरू करने के निर्देश दिए थे। 15 मई तक इसकी रिपोर्ट मांगी थी। मगर छत्तीसगढ़ में इस निर्देश का पालन ही नहीं हो रहा है। जबकि ठंड और गर्मी का मौसम ही गणना के लिए उपयुक्त माना जाता है। गौरतलब है कि 2018 में तीन चरण की गणना पूरी होने के बाद देश में बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तो छत्तीसगढ़ में 60 प्रतिशत की कमी।
वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने बताया कि 2014 और 2019 की गणना में बाघों की संख्या के जो आंकड़े सामने आए वे विश्वसनीय नहीं हैं। जहां तक चौथे चरण की गणना शुरू न होने का सवाल है, तो अफसरों से पूछता हूं।

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