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19 साल की उम्र में दर्शन चल पड़े संन्यास की राह पर, दीक्षा लेने के बाद बने जैन मुनि

locationरायपुरPublished: Feb 13, 2020 07:55:12 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

रायपुर से लगे कैवल्यधाम में सूरत के 19 साल के दर्शन बागरेचा अध्यात्म योगी महेंद्र सागर महाराज ने दीक्षा ग्रहण करने के साथ ही मुनि शासनरत्न सागर बन गए।

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रायपुर. जिस उम्र में बच्चे सुनहरे सपने संजोते हैं, उसी उम्र में 19 साल का एक किशोर संन्यास के रास्ते पर चल पड़ा है। अपने शौक और सुनहरे सपने सबकुछ त्याग कर दर्शन एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा जिसमें सांसारिक मोह माया की कोई जगह नहीं है। दर्शन का परिवार भी बेटे के फैसले से खुश है।
दरअसल, राजधानी रायपुर से लगे कैवल्यधाम में सूरत के 19 साल के दर्शन बागरेचा अध्यात्म योगी महेंद्र सागर महाराज ने दीक्षा ग्रहण करने के साथ ही मुनि शासनरत्न सागर बन गए। घर-परिवार और वैभव पीछे छोड़ संयम मार्ग पर चल पड़े। इस दौरान सभागार बैठे उनके माता-पिता और समाज के लोगों की आंखों में आंसू छलक आईं। सभी ने दर्शन को निरंतर धर्म मार्ग पर आगे बढऩे का आशीष दिया।
कैवल्यधाम में सुबह 7.30 बजे दीक्षा महोत्सव शुरू हुआ। आध्यात्म योगी मुनि महेंद्र सागर के पावन सानिध्य में दीक्षा संपन्न हुई। इसके बाद उनका नामकरण किया गया। गुरुजी ने रिश्तेदारों को यह मौका दिया कि वे ही मुनि बने अपने पुत्र का नामकरण करें। परिवारवालों के निवेदन पर दर्शन का नाम शासनरत्न सागर रखा गया। इसके साथ ही वे अब बड़ी दीक्षा 8 मार्च को धमतरी में लेंगे। इससे पहले ढाई घंटे तक मंत्रोच्चार के साथ दीक्षा के अनुष्ठान हुए। अध्यात्म योगी महेंद्र सागर समेत 42 साधु-साध्वियां और समाजजन साक्षी बने।
जैन धर्म त्याग पर आधारित : मनीष सागर
इस अवसर पर मनीष सागर ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि जैन धर्म त्याग पर आधारित है। धन-दौलत से ज्यादा यहां त्याग को महत्व दिया गया है, क्योंकि यही वो मार्ग है जो हमें प्रभु तक पहुंचाता है। दर्शन ने इस मार्ग पर चलने का जो दृढ़ संकल्प लिया है वो पूरे समाज के हित में है।
कैवल्यधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष धारमचंद लूनिया ने कहा कि पिछले 7 साल से दर्शन को कैवल्यधाम में देख रहे हैंं। जब भी देखा हंसते-मुस्कुराते। उनके माता-पिता का अभिनंदनीय हैं, जिन्होंने अपने पुत्र को संयम की राह पर चलने की अनुमति दी। संचालन ट्रस्ट के महामंत्री सुपरसचन्द गोलछा ने किया।
वीडियो गेम नहीं खेलने जैसे संकल्प भी
प्रचार-प्रसार प्रभारी चंद्रप्रकाश ललवानी ने बताया कि दीक्षा लेने के बाद शासनरत्न सागर को पंच महाव्रतों का पालन करने की सीख दी गई। आध्यात्म योगी महेंद्र सागर के सुझाव पर 1 महिला ने 1501 आयंबिल तप की बोली लगाकर यह लाभ अपने नाम किया। इसी तरह चादर के लिए आजीवन टीवी नहीं देखने की बोली लगी। 15 महिलाएं इसमें आगे आईं।
आसन के लिए 100 बचों ने बोली लगाते हुए कभी मोबाइल, कंप्यूटर पर मार-काट वाले गेम नहीं खेलने का संकल्प लिया। इसी तरह कांबली के लिए 54 हजार सामायिक, पात्रा के लिए 15 ने आजीवन रात्रि भोजन नहीं करने, नवकार वाणी के लिए 40 हजार नवकार माला जपने की बोली 3 परिवारों ने मिलकर लगाई।
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