आंकड़े बता रहे हैं कि सितंबर में 82 हजार मरीज रिपोर्ट हुए। इस दौरान 60 हजार मरीज ठीक भी हुए और एक्टिव मरीजों की संख्या 31-32 हजार के बीच रही। हालांकि सरकार ने सितंबर में रोजाना 20 हजार टेस्ट करने की बात कही थी। मगर, 14-15 हजार से ज्यादा टेस्ट नहीं हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। विशेषज्ञ मानतें हैं कि जितने ज्यादा टेस्ट होंगे, उतने ज्यादा मरीजों में संक्रमण की पहचान होगी। उन्हें समय पर इलाज मिल सकेगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में जितने लैब स्थापित हैं। रैपिड किट और ट्रूनेट मशीन की क्षमता के आधार पर 25 हजार तक टेस्ट हो सकते हैं।
रिकवरी रेट बढ़ा
प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर यानी रिकवरी रेट 14-15 सितंबर को 46 प्रतिशत पर जा पहुंचा था। जो अब बढ़कर 70 प्रतिशत के करीब जा पहुंचा है। क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन का विकल्प चुन रहे हैं। 3-5 दिन में ठीक भी हो रहे हैं। यही वजह है कि अस्पतालों में बेड की कमी अब उतनी नहीं है, जितनी पूर्व में थी। हालांकि डेथ रेट 0.8 प्रतिशत है, पहले 0.8 के नीचे था।
अक्टूबर में संक्रमितों की संख्या 2 लाख पहुंचने का अनुमान
सितंबर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या १ लाख का आंकड़ा पार करते हुए 30 सितंबर को 1.12 लाख जा पहुंची। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पूर्व में ‘पत्रिका’ से बातचीत में साफ-साफ कहा था कि यही रफ्तार रही तो अक्टूबर में संक्रमितों का आंकड़ा 2 लाख पहुंच सकती है। इसी को लेकर उन्होंने बुधवार को विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ मंत्रणा की। इस दौरान इन प्रमुख बिंदुओं पर फोकस रहा।
– ऑक्सीजन और वेंटीलेटर युक्त बेड की संख्या ९ हजार तक ले जानी है। वर्तमान में 2,686 ऑक्सीजन युक्त बेड की राज्य में उपलब्धता है।
– सैंपलिंग और टेस्टिंग को बढ़ाने की जरुरत है। बीते कुछ दिनों से टेस्टिंग 11 से 13 हजार रही। टेस्टिंग 15 हजार से अधिक ही होनी चाहिए।
– होम आइसोलेशन का विकल्प चुनने वाले मरीजों को मेडिकल किट मुहैया करवाई जाएं।
– मॉस्क और सेनिटाइजर सबसे बड़ी औषधि हैं। २ व्यक्ति अगर मॉस्क पहनकर लगातार मिलते हैं तो संक्रमण का 90 प्रतिशत खतरा टल जाता है। इसे प्रसारित करें।