डीडीनगर स्थित जैन मंदिर में मंगलवार को प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन भगवान की प्रतिमा की गर्भगृह में स्थापना की गई। यह काम दोपहर 1 बजे से शुरू हुआ। इसके लिए गर्भगृह के अंदर ऊपर की ओर चेन पुली लगाई गई थी, जबकि बाहरी कक्ष से लेकर गर्भगृह तक लोहे के गर्डर का फ्रेम बनाया गया था। प्रतिमा को इसी पर स्लाइड करते हुए गर्भगृह तक ले जाया गया, फिर चेन के सहारे प्रतिमा को तकरीबन 5 फीट ऊंचा उठाकर वेदी पर भगवान की प्रतिष्ठा की गई। चार घंटे तक चली इस प्रक्रिया के दौरान मंदिर परिसर में जस जिनेन्द्र के जयकारे गूंजते रहे। मूलनायक के अलावा अष्टधातु से बनी 400 किलो की 2 अन्य प्रतिमाओं की भी गर्भगृह में स्थापना की गई।
समाज ने प्रतिष्ठा कराने वाले बाल ब्रह्मचारियों को किया सम्मानित
श्री दिगंबर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष यशवंत जैन ने बताया कि मंगलवार को याग मंडल विधान हुआ। इसमें बड़ी संख्या में समाज के लोग पारंपरिक परिधान के साथ शामिल हुए। इस मौके पर श्री वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर कमेटी ने प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा करने वाले बाल ब्रह्मचारी अरुण, संजीव और अंकित समेत समाज के गणमान्य नागरिकों को सम्मानित किया। बुधवार वेदी प्रतिष्ठा का आखिरी दिन है। इस मौके पर सुबह 7 बजे भक्तांमर विधान और जिनबिंब की स्थापना का कार्यक्रम होगा। समाजजनों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई है।
ग्राउंड फ्लोर पर विराजमान हैं 11 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं
मंदिर के प्रथम तल में जहां 2 टन वजनी मूलनायक और 400 किलो अष्टधातु से बनी 2 प्रतिमाओं की स्थापना की गई है, वहीं ग्राउंड फ्लोर पर 11 अन्य तीर्थंकरों की धातु से निर्मित प्रतिमाओं की स्थापना की गई है। मंदिर आने वाले भक्त पहले 11 तीर्थंकर परमात्माओं के दर्शन करेंगे। उसके बाद ऊपर जाकर मूलनायक के दर्शन होंगे। इस तरह के डिजाइन पर बनने वाला यह शहर का पहला दिगंबर जैन मंदिर है।