इस क्षेत्र की नहर पर सड़क बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का प्लान इसलिए बनाया गया था कि जीई रोड का ट्रैफिक दबाव काफी हद तक कम होगा और शहर के लोग जिन्हें अंदर-अंदर भनपुरी वाली रोड तरफ जाना होता है, वे सीधे रिंग रोड-टू पर लगेंगे और महोबाजार, कोटा, कबीरनगर और हीरापुर क्षेत्र के लोगों की आवाजाही आसान होगी। लोग नई केनाल रोड से होकर सीधे चाहे भनपुरी तरफ या फिर टाटीबंध चौक तरफ से भिलाई, दुर्ग की ओर आने-जाने की सहूलियत होती।
नहर को पाटकर रोड बनाने का प्लान फाइनल हुआ था। बीच में अवैध कब्जा हटाने में नगर निगम को दो साल बीत गए। इस वजह से निर्माण बीच ही अटका रहा। गर्मी के महीनों में काम हुआ नहीं। अब बरसात में निर्माण कार्यों की रफ्तार वैसे भी धीमी पड़ जाती है, क्योंकि डामरीकरण बारिश में की नहीं जाती। पीडब्ल्यूडी के अफसरों का कहना है कि इस रोड के निर्माण में सबसे बड़ी बांधा भुइंया तालाब के करीब अवैध कब्जा हटाने में नगर निगम को काफी समय लगा। इस वजह से निर्माण रोकना पड़ा। जबकि एक हिस्से की सड़क बन गई है।
भुइंया तालाब के करीब अवैध कब्जा के कारण सड़क का काम रुका था, परंतु अब रास्ता साफ हो गया है। 35 प्रभावितों को हटाकर बीएसयूपी के मकानों में शिफ्टिंग की गई है, इसलिए निर्माण में अब दिक्कत नहीं है।
– घनश्याम छत्री, अध्यक्ष जोन क्रमांक- 8