मूलत: किसानों का पर्व हरेली
किसानों का यह त्यौहार उनकी औज़ार पूजा से शुरू होता है, किसान आज काम पर नहीं जाते घर पर ही खेत के औजार व उपकरण जैसे नांगर, गैंती, कुदाली, रापा इत्यादि की साफ-सफाई कर पूजा करते हैं साथ ही साथ बैलों व गायों की भी इस शुभ दिन पर पूजा की जाती है।
हरेली में ग्रामीणों द्वारा अपने कुलदेवताओं का भी विशेष पूजन किया जाता है, विशेष पकवान जैसे गुड़ और चावल का चिला बनाकर मंदिरों में चढ़ाया जाता है।
हरेली और उसके पीछे का अंधविश्वास
बारिश के मौसम में आए इस त्यौहार को कुछ लोग अंधविश्वास से जोड़ते है। जैसा कि आज के दिन घर के दरवाज़े पर नीम की पत्तियां लगाने और लोहे की कील ठोकने की परंपरा है। प्रदेश में ज़रूर इन परंपराओं का पालन यह बोल कर किया जाता है की इससे आपके घर से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है। लेकिन इन परंपराओं के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण है।
पुरुषोत्तम मास वाले सावन में बना था संयोग
16 साल बाद सावन महीना में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है। 20 साल पहले वर्ष 2000 में सोमवती अमावस्या थी। इसके बाद 2004 में सावन महीने को पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) के रूप में मनाया गया था, यानी उस साल दो बार सावन महीना पड़ा था। दूसरे सावन महीने में सोमवती अमावस्या का संयोग बना था।
पितृ पूजा का विशेष महत्व
सावन महीने में पड़ रही सोमवती अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही पितृ पूजा करने से पितृ दोष दूर होने की मान्यता है। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
सालों में एक बार आती है सोमवती अमावस्या
हिंदू पंचाग के अनुसार हर महीने एक अमावस्या आती है परंतु सोमवार के दिन अमावस्या तिथि का संयोग सालों में कभीकभार बनता है। यह संयोग स्नान, दान के लिए शुभ और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन नदियों, तीर्थों में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र दान करना पुण्य फलदायी माना जाता है।
लगेगी नारियल की बाजी
लोकपर्व के लिए लोक खेलों की भी परंपरा है। इससे जगह-जगह नारियल की बाजी लगेगी। इसके साथ ही कबड्डी, कुश्ती, फुगड़ी, खो-खो, कबड्डी, बिल्लस, ग़ेंडी दौड़ समेत अन्य पारंपरिक खेलों का आयोजन होगा। इस दिन ग़ेंडी बनेगी। इसका लोग आनंद लेंगे और इसे एक महीने बाद पोला के दिन ठंडा किया जाएगा।