scriptCorona Update: 30 प्रतिशत मौतें अस्पतालों में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर | 207 Corona deaths in Chhattisgarh from 29 March to 3 April | Patrika News

Corona Update: 30 प्रतिशत मौतें अस्पतालों में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर

locationरायपुरPublished: Apr 05, 2021 06:06:44 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

– लापरवाही से बिगड़ते हालात : प्रदेश में 29 मार्च से 3 अप्रैल तक 207 मौतें- मृतकों में 70 प्रतिशत की उम्र 50 से अधिक, दूसरी बीमारियों से पीड़ित भी

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छत्तीसगढ़ में घट रहा कोरोना से मौत का आंकड़ा, स्वास्थ्य विभाग को ‘शून्य’ का इंतजार

रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थिति यह है कि बीते 6 दिनों में 207 जानें जा चुकी हैं। औसतन हर रोज 35 लोग इस बीमारी से जंग हार रहे हैं। मगर, इससे भी कहीं भयावह सच्चाई यह है कि 30 प्रतिशत मौतें अस्पताल की चौखट और भर्ती होने के 24 से 48 घंटे के भीतर हो रही हैं। यह वायरस जरा सी लापरवाही में सीधे मौत के घाट उतार दे रहा है। डॉक्टरों को इलाज शुरू करने तक का समय नहीं मिल पा रहा।
‘पत्रिका’ टीम ने रविवार को एम्स, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल समेत बड़े निजी अस्पतालों में संपर्क किया। जानकारी लेने पर पता चला कि वेंटीलेटर और आईसीयू पूरी तरह से भरे हुए हैं। वेटिंग है। इसके बाद टीम देवेंद्र नगर और मारवाड़ी श्मशानघाट पहुंची, जहां पर कोरोना मरीजों के शवों को जलाया जा रहा था। यहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि अगस्त-सितंबर जैसी स्थिति है, जब एक साथ 3-3, 4-4 शवों का दाह संस्कार करते थे। बढ़ती मौतों की संख्या के चलते इन दोनों श्मशानघाट में जलाने की जगह नहीं बचती तो बीते दिनों टाटीबंध श्मशान में कोरोना मरीजों का दाह संस्कार करना शुरू हुआ।
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हमारी लापरवाही, जान पर भारी पड़ रही
केस 1- कुम्हारी निवासी 37 वर्षीय पुरुष को 31 मार्च को परिजन आंबेडकर अस्पताल लेकर पहुंचें। उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव थी। डॉक्टरों ने जांच की तो वह मृत था। परिजनों ने डॉक्टर को बताया कि सांस लेने में कुछ दिनों से तकलीफ हो रही थी।

केस 2- 18 वर्षीय युवक को 2 अप्रैल को बैगापारा मुंगेली से रायपुर आंबेडकर अस्पताल लाया गया, जहां उसका कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया। युवक को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। महज कुछ घंटे इलाज के दौरान उसी दिन उसकी मौत हो गई।

इन 3 कारणों से जा रही जानें-
1- लक्षण दिखाई देने पर जांच न करवाना। आस-पास की दवा दुकान से दवा ले लेना।
2- जांच करवाने के बाद अस्पताल पहुंचने में देरी या फिर होम आईसोलेशन में रहना। इस दौरान स्थिति बिगडऩा।
3- घर के बुजुर्गों/बीमार व्यक्ति के प्रति परिवारजनों की गैर जिम्मेदारी।

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क्या हो हमारी जिम्मेदारी-
जरा सा भी संदेह हो तो तत्काल जांच करवाएं। बड़े-बुजुर्गों और घर के बीमार व्यक्तियों के सीधे संपर्क में न आएं। न किसी बाहरी को आने दें। गर्भवती माताओं, नवजात बच्चों का भी पूरा ध्यान रखें।
(जैसा की ‘पत्रिका’ को आंबेडकर अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. ओपी सुंदरानी, टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा और एम्स के कोविड19 वार्ड प्रभारी डॉ. अतुल जिंदल ने बताया।)

आखिर एम्स ही क्यों?-
हर मरीज को एम्स में बेड चाहिए। नहीं तो वे होम आईसोलेशन में रहना चाहते हैं। स्थिति बिगड़ती है और शिफ्टिंग के दौरान भी जान चली जा रही है। आखिर क्यों? जबकि रायपुर के सरकारी कोविड19 अस्पतालों में भी बेहतर चिकित्सकीय सुविधाए हैं। डेथ ऑडिट में यह बात भी निकलकर सामने आई है।

निजी अस्पतालों में भी मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा
राजधानी रायपुर के निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत रिपोर्ट हो रही थी। इसकी पीछे भी कारण देर से आना ही बताया जा रहा है। कई मरीजों ने लंबे समय तक वेंटीलेटर में रहने के बाद दमतोड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे मौत की जानकारी मौत वाले दिन ही सीएमएचओ को भेजें।

स्वास्थ्य विभाग के कोरोना डेथ ऑडिट कमेटी के प्रवक्ता एवं अध्यक्ष के डॉ. सुभाष पांडेय ने कहा, 8-10 दिनों से मौतों का आंकड़ा बढ़ा है। निश्चित तौर पर लोग जांच करवाने में देरी कर रहे हैं। कई बार स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां छिपाकर होम आइसोलेशन में रहते हैं। हम स्वयं जिम्मेदार हैं।
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