हमारी लापरवाही, जान पर भारी पड़ रही
केस 1- कुम्हारी निवासी 37 वर्षीय पुरुष को 31 मार्च को परिजन आंबेडकर अस्पताल लेकर पहुंचें। उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव थी। डॉक्टरों ने जांच की तो वह मृत था। परिजनों ने डॉक्टर को बताया कि सांस लेने में कुछ दिनों से तकलीफ हो रही थी।
इन 3 कारणों से जा रही जानें-
1- लक्षण दिखाई देने पर जांच न करवाना। आस-पास की दवा दुकान से दवा ले लेना।
2- जांच करवाने के बाद अस्पताल पहुंचने में देरी या फिर होम आईसोलेशन में रहना। इस दौरान स्थिति बिगडऩा।
3- घर के बुजुर्गों/बीमार व्यक्ति के प्रति परिवारजनों की गैर जिम्मेदारी।
क्या हो हमारी जिम्मेदारी-
जरा सा भी संदेह हो तो तत्काल जांच करवाएं। बड़े-बुजुर्गों और घर के बीमार व्यक्तियों के सीधे संपर्क में न आएं। न किसी बाहरी को आने दें। गर्भवती माताओं, नवजात बच्चों का भी पूरा ध्यान रखें।
(जैसा की ‘पत्रिका’ को आंबेडकर अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. ओपी सुंदरानी, टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा और एम्स के कोविड19 वार्ड प्रभारी डॉ. अतुल जिंदल ने बताया।)
आखिर एम्स ही क्यों?-
हर मरीज को एम्स में बेड चाहिए। नहीं तो वे होम आईसोलेशन में रहना चाहते हैं। स्थिति बिगड़ती है और शिफ्टिंग के दौरान भी जान चली जा रही है। आखिर क्यों? जबकि रायपुर के सरकारी कोविड19 अस्पतालों में भी बेहतर चिकित्सकीय सुविधाए हैं। डेथ ऑडिट में यह बात भी निकलकर सामने आई है।
निजी अस्पतालों में भी मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा
राजधानी रायपुर के निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों की मौत रिपोर्ट हो रही थी। इसकी पीछे भी कारण देर से आना ही बताया जा रहा है। कई मरीजों ने लंबे समय तक वेंटीलेटर में रहने के बाद दमतोड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे मौत की जानकारी मौत वाले दिन ही सीएमएचओ को भेजें।