यूक्रेन से सकुशल वापस लौटी बलौदाबाजार की बेटी पूर्वी नेताम
रूस तथा यूक्रेन के बीच हो रही भीषण लड़ाई के बीच नगर के नेताम परिवार की बेटी पूर्वी नेताम बुधवार रात अपने घर बलौदाबाजार सकुशल लौट आई है, जिससे परिवारजनों तथा रिश्तेदारों में हर्ष व्याप्त है। बीते सप्ताहभर से मीडिया में यूक्रेन में लगातार भीषण होते हालातों को देखकर परिवारजनों का बुरा हाल था, लेकिन जब पूर्वी के बुधवार को दिल्ली सकुशल पहुंचने की खबर मिली, तब परिवारजनों ने राहत की सांस ली।
रायपुर
Published: March 04, 2022 04:38:51 pm
बलौदाबाजार। रूस तथा यूक्रेन के बीच हो रही भीषण लड़ाई के बीच नगर के नेताम परिवार की बेटी पूर्वी नेताम बुधवार रात अपने घर बलौदाबाजार सकुशल लौट आई है, जिससे परिवारजनों तथा रिश्तेदारों में हर्ष व्याप्त है। बीते सप्ताहभर से मीडिया में यूक्रेन में लगातार भीषण होते हालातों को देखकर परिवारजनों का बुरा हाल था, लेकिन जब पूर्वी के बुधवार को दिल्ली सकुशल पहुंचने की खबर मिली, तब परिवारजनों ने राहत की सांस ली। पत्रिका से चर्चा में पूर्वी ने यूक्रेन की भयावह स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। वहीं, यूक्रेन में फंसे अन्य छात्र-छात्राओं के भी जल्द से जल्द भारत वापसी को लेकर प्रार्थना की। पूर्वी ने यूक्रेन से निकलने तथा हंगरी बॉर्डर के बीच 21 घंटे फंसे होने को अपनी जिंदगी का कभी ना भूलने वाला अनुभव बताया।
पूर्वी ने बताया कि 15 फरवरी के आसपास रूस की सेनाएं यूक्रेन बॉर्डर पर जमा होने लगी थी, जिसे रूस सामान्य अभ्यास बता रहा था। जिसके बाद यूक्रेन की सेना भी अलर्ट मोड पर थीं। परंतु बाद में स्थिति बेहद खराब होती चली गई। वे जिस इलाके में रहती थीं, वहां किसी प्रकार का अटैक नहीं हुआ, परंतु सायरन की आवाज दिनभर सुनाई देती रहती थी। जिससे वे सभी डरे हुए थे। सभी जल्द से जल्द अपने देश लौटना चाहते थे। देश वापसी के लिए तय कार्यक्रम अनुसार 27 फरवरी को वे तथा अन्य स्टूडेन्ट्स यूनिवर्सिटी से निकले। उन्हें भारतीय दूतावास द्वारा हंगरी बॉर्डर पर पहुंचने की बात कही गई थी। वे जिस स्थान पर थे, वहां से हंगरी बॉर्डर महज 15 मिनट की दूरी पर थी। जहां वे सभी सुबह 4.30 बजे पहुंच गए थे, परंतु बॉर्डर पर इतने लोग थे कि क्लीयरेंस होते-होते 21 घंटे इन लोगों को अपनी बस में ही इंतजार करना पड़ा। जिसके बाद वे सभी रात 1 बजे तक बॉर्डर पर ही फंसे रहे। इस दौरान गन प्वाईंट पर सभी बसों की यूक्रेन सेना द्वारा पड़ताल की जाती रही। रात लगभग 2 बजे हंगरी बॉर्डर पर जब भारतीय दूतावास के लोग मिले तब कहीं जाकर छात्र-छात्राओं की जान में जान आई। दूतावास के अधिकारियों ने सभी को सुबह 6 बजे हंगरी की राजधानी बूडापेस्ट पहुंचाया। जहां सभी को नाश्ता कराकर रजिस्ट्रेशन के आधार पर एयरपोर्ट पहुंचाया गया। 1 मार्च की शाम 6 बजे भारतीय दूतावास के अधिकारियों द्वारा सभी बच्चों को खाना खिलाकर रवाना किया गया जिसके बाद सभी 2 मार्च की सुबह 8.15 बजे नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची। एयरपोर्ट पर केन्द्र सरकार के अधिकारियों समेत छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने जोरदार स्वागत किया। छत्तीसगढ़ के बच्चों को छत्तीसगढ़ भवन ले गए जहां बच्चों को आराम कराकर तथा खाना खिलाकर बुधवार दोपहर 2.30 बजे रायपुर के लिए रवाना किया गया।
जिंदगी के सबसे कठिन 21 घंटे
पूर्वी ने इन 21 घंटों को अपनी जिंदगी का सबसे कठिन समय बताते हुए कहा कि यूक्रेन के सैनिक बेहद बुरा बर्ताव कर रहे थे तथा गन प्वाईंट पर सभी बसों की तलाशी ली जा रही थी। मोबाइल में फोटो तथा वीडियो बनाने पर गोली मारने की चेतावनी दी गई थी, जिससे सभी डरे हुए थे। इन 21 घंटों के दौरान एक-दो बार सायरन बजने तथा तथा रॉकेट हमले का भी अंदेशा हुआ। तब लगा कि अब जिंदा बचने की गुंजाइश नहीं है। 21 घंटे बाद जब सभी छात्र-छात्राएं हंगरी बॉर्डर पहुंचे तब जान में जान आई। जब प्लेन में बैठकर दिल्ली के लिए उड़ान भरी तब पहली बार लगा कि अब जान को खतरा नहीं है, अब परिवारजनों से मिल सकते हैं।
हालात बेहद भयावह है
पूर्वी ने यूक्रेन के हालातों को बेहद भयावह बताया। उन्होंने बताया कि उनके कई दोस्त राजधानी कीव तथा खारखीव में रहते हैं, जो बुरी तरह से फंस गए हैं। उन्हें ना तो सुरक्षा मिल रही है और ना ही खाने-पीने का कोई इंतजाम है। इन्हें जल्द से जल्द सही-सलामत लाने का इंतजाम होना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे तथा उनके जैसे हजारों भारतीय बच्चे डॉक्टर बनने का सपना लेकर यूक्रेन गए थे, परंतु अब पूरे भविष्य को लेकर अनिश्चितता है। लोगों ने लोन लेकर एडमिशन में पैसे फंसाए हैं। अब आगे क्या होगा इसको लेकर कुछ पता नहीं है। राहत इस बात की है कि जीवित अपने घर लौट आए हैं।
एक सप्ताह से परिवारजन तनाव में थे
नगर के दिलीप नेताम की बेटी पूर्वी ने मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन के अजरोद नेशनल यूनिवर्सिटी में 2019 को एडमिशन लिया था। पूर्वी वर्तमान में तृतीय वर्ष की छात्रा है। कोरोना संक्रमण के बाद पूर्वी भी भारत वापस आ गई थी, जिसके बाद वह फरवरी 2021 को फिर से यूक्रेन गई थी। सामान्य परिवार की बेटी को डॉक्टर बनते हुए देखने का सपना देखने वाले माता-पिता सहित पूरे परिवार के लिए बीते कुछ ही दिनों में स्थिति बेहद डरावनी हो गई थी। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद बीते सप्ताहभर से नेताम परिवार का खाना-पीना, सोना सभी कुछ खत्म हो गया था। परिवारजन पूरे समय बेटी पूर्वी की सलामती तथा उसके जल्द से जल्द भारत वापसी को लेकर प्रयास कर रहे थे।

यूक्रेन से सकुशल वापस लौटी बलौदाबाजार की बेटी पूर्वी नेताम
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