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डीकेएस में २४ घंटे गंभीर मरीजों को भर्ती करने पर लगा ग्रहण

locationरायपुरPublished: Sep 27, 2019 10:45:03 pm

Submitted by:

abhishek rai

प्रदेश के इकलौते सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल डीकेएस में नहीं खुलेगा ट्रामा सेंटर, प्रबंधन साढ़े ग्यारह माह में एक कदम भी नही चला, १४० करोड़ रुपए में बने डीकेएस का शुभारंभ २ अक्टूबर २०१८ को हुआ था।

डीकेएस में २४ घंटे गंभीर मरीजों को भर्ती करने पर लगा ग्रहण

डीकेएस में २४ घंटे गंभीर मरीजों को भर्ती करने पर लगा ग्रहण

अभिषेक राय
रायपुर. प्रदेश के एकमात्र सुरपस्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में ट्रामा सेंटर नहीं खुलेगा। इसके पीछे जगह व विशेषज्ञों की कमी बताई जा रही है। इस बात को इससे भी बल मिल रहा है कि साढ़े ११ माह बीतने के बाद भी प्रबंधन इस दिशा में एक कदम आगे नहीं बढ़ा है। हॉस्पिटल के आला अधिकारी भी अंदरूनी रूप से इसकी पुष्टि कर रहे हैं लेकिन खुले तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। १४० करोड़ रुपए में बने डीकेएस का शुभारंभ २ अक्टूबर २०१८ को हुआ था। अस्पताल के प्रदेशवासियों को उम्मीद जगी थी कि उन्हें २४ घंटे सुपरस्पेशलिटी इलाज का लाभ मिलेगा तथा महानगरों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी लेकिन आज तक ट्रामा सेंटर की नींव तक नहीं पड़ी है। मरीजों को सिर्फ ओपीडी का ही लाभ मिल रहा है। डीकेएस में वर्तमान समय में न्यूरो सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, कार्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, बर्न एंड प्लास्टिक, पीडियाट्रिक, गैस्ट्रोलॉजिस्ट तथा पीडियाट्रिक आर्थोपेडिक विभाग संचालित हैं। लेकिन, ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को आंबेडकर अस्पताल में भर्ती किया जाता है। आंबेडकर अस्पतला में जब हेड इंजरी के मरीज भर्ती होते हैं तब डीकेएस से न्यूरोसर्जन को बुलाया जाता है। वहीं, डीकेएस में कई मल्टीपल इंजरी के मरीज भर्ती होते हैं, जिनके हाथ-पैर फ्रैक्चर के साथ सिर में भी गंभीर चोटें लगी होती है। उस समय डॉक्टरों के पास मन में दुविधा रहती है कि हड्डी का इलाज कराने आंबेडकर भेजे या फिर न्यूरो का इलाज किया जाए। सड़क दुर्घटना में हेड के साथ मल्टीपल इंजरी वाले मरीज ज्यादा होते हैं।
एक्जीक्यूटिव कमेटी ने दी थी हरी झंडी
डीकेएस में ट्रामा सेंटर खोलने के लिए अप्रैल में एक्जीक्यूटिव कमेटी ने हरी झंडी दी थी। ट्रामा सेंटर के लिए अलग से बिल्डिंग बनेगी या वर्तमान अस्पताल में रहेगा, यह निर्णय शासन से मार्गदर्शन के बाद लिया जाना था। डीकेएस के एक आला अधिकारी ने बताया कि कुछ माह पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिहदेव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें ट्रामा सेंटर खोलने पर विचार किया गया था। वर्तमान समय में खाली पड़ी दुकानों को तोड़कर वहां पर ट्रामा सेंटर बनाने की चर्चा हुई, लेकिन अस्पताल से अधिक दूर होने की वजह से सहमति नहीं बनी। इसके बाद ट्रामा सेंटर को लेकर कभी किसी बैठक में चर्चा नहीं हुई।
अस्पताल में डॉक्टरों की स्थिति
डीकेएस के न्यूरो सर्जरी में ८, नेफ्रोसर्जरी में २, कार्डियोलॉजी में २, यूरोलॉजी में २, बर्न एंड प्लास्टिक में ४, पीडियाट्रिक में ३, गैस्ट्रोलॉजी में १ तथा पीडियाट्रिक आर्थो में १ विशेषज्ञ पदस्थ हैं। डीके में 70 बेड का केजुअल्टी वार्ड तथा 125 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट संचालित हैं। यहां प्रतिदिन करीब ३०० मरीज ओपीडी में इलाज कराने पहुंचते हैं।
कर्मचारियों को मिला 1 माह का वेतन
‘पत्रिकाÓ में ‘डीकेएस में कर्मियों को २ माह से नहीं मिला वेतनÓ खबर प्रकाशित होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनी कॉल मी सर्विसेस को फटकार लगाई है। डीकेएस के उप-अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि कंपनी से इसपर जवाब तलब किया गया था। कंपनी ने एक माह की सैलरी रिलीज कर दिया है तथा शेष के लिए कुछ समय मांगा है।
मेडिकल कॉलेज का ही डीकेएस भी हिस्सा है। यहां जगह का भी अभाव है इसलिए ट्रामा सेंटर खुलना संभव नहीं है। ट्रामा की सारी सुविधाएं तो मिल ही रही है।
डॉ. एस.एल. आदिले, अधीक्षक, डीकेएस

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