डॉक्टर धु्रव ने युवती को पहले कुछ दवाएं दी और ऑपरेशन के लिए कहा। युवती के परिजन ऑपरेशन के लिए तैयार हो गए। एक सप्ताह पहले डॉ. धु्रव, सर्जरी विभाग के डॉ. राकेश प्रधान और निश्चेतना विभाग के डॉक्टर दीपक सिंह ने सफल ऑपरेशन किया।
डॉ. के.एन धु्रव ने बताया कि जांच के बाद पता चला कि युवती में मासिक धर्म ना होने की समस्या प्राइवेट पार्ट और गर्भाशय के न होने की वजह से हैं। डॉक्टरों ने बताया कि एबी-मेकिंडो प्रणाली से करीब सवा दो घंटे तक ऑपरेशन कर युवती के मांस से उसका कृत्रिम प्राइवेट पार्ट बनाया गया। युवती अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है। सफल ऑपरेशन के बाद युवती को डिस्चार्ज कर दिया गया।
डॉ. के.एन धु्रव ने बताया कि मेयर रोकितांस्की सिंड्रोम होने पर महिलाओं में प्राइवेट पार्ट और गर्भाशय अनुपस्थित या अविकसित होता है। जबकि, बाह्य जननांग सामान्य होते हैं। सिंड्रोम की कमी 5000 महिलाओं में से कोई एक महिला प्रभावित होती है। डॉ. ध्रुव ने बताया कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत होती है।
परिजनों को इस बीमारी का पता पहले चल जाता है, लेकिन वह लोकलाज से उपचार कराने से झिझकते हैं। जब युवती की शादी का समय होता है तो लोग डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। डॉक्टर धु्रव ने बताया कि यदि इस बीमारी का उपचार निजी अस्पतालों में कराया जाए तो करीब एक लाख रुपए लग जाते, जबकि डीकेएस में मुफ्त उपचार हुआ है।