तीन वर्ष में 1072 नेत्रदान, लेकिन इनमें से सिर्फ 251 मरीजों का ही कार्निया ट्रांसप्लांट, 818 को अब भी इंतजार
रायपुरPublished: Dec 06, 2019 06:55:56 pm
20२२ तक तय किया गया है लक्ष्य, एक साल चलेगा फॉलोअप, 2016 से प्रदेश में चल रहे सर्वे में 1069 मरीजों की हुई थी पहचान
तीन वर्ष में 1072 नेत्रदान, लेकिन इनमें से सिर्फ 251 मरीजों का ही कार्निया ट्रांसप्लांट, 818 को अब भी इंतजार
रायपुर. प्रदेश में वर्ष 2016 से अंधत्व मुक्त (कार्नियल ब्लाइडनेस फ्री) प्रोजक्ट चल रहा है। इसके तहत संपूर्ण अंधेपन के शिकार 1069 व्यक्तियों की पहचान करने के साथ ही उनकी सर्जरी भी शुरू की गई थी। अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2019 तक 1072 नेत्र दान हुए हैं। लेकिन, इनमें से सिर्फ 251 मरीजों का ही अब तक कार्निया ट्रांसप्लांट हो सका है। 818 लोग अभी वेटिंग लिस्ट में हैं।
प्रदेश को वर्ष 2022 तक अंधत्व मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार दान में मिले नेत्रों में से 10 से 40 प्रतिशत ही कार्निया ऐसे होते हैं, जिन्हें दूसरों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है। प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए प्रदेश के 7 निजी अस्पतालों से भी अनुबंध किया गया है।
बाहर से कार्निया मंगाने को मंजूरी
अंधत्व मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य तय समय में पूरा करने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत राज्य अंधत्व निवारण समिति ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को २०१६ में प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई है। इसके तहत अब बाहर से भी कार्निया मंगाकर लगाया जा रहा है। एक कार्निया मंगाने में सिर्फ ६ हजार रुपए खर्च होते हैं।
लोगों में भ्रांति भी
विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ लोगों में भ्रम रहता है कि अस्पताल दान के नेत्र ले जाते हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं करते। यह जरूरी नहीं है कि जिस व्यक्ति का नेत्र दान हुआ है वह संपूर्ण बीमारियों से मुक्त हो। कई बार कार्निया ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त नहीं होता, तो उसे मेडिकल कॉलेज में शोध के लिए रखा जाता है। नेत्र दान में आंख नहीं निकाली जाती, सिर्फ कार्निया निकाला जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कहा जाता है कि मृत्यु उपरांत नेत्र दान होने से दूसरे जन्म में व्यक्ति अंधा पैदा होता है, जो सिर्फ भ्रांति है।
5 साल में हुए नेत्र दान
वर्ष नेत्रदान
2014-15 238
2015-16 282
2016-17 334
2017-18 378
2018-19 360
दो साल में ट्रांसप्लांट के आंकड़े
वर्ष कार्निया ट्रांसप्लांट
2017-18 136
2018-19 115
अंधत्व निवारण समिति के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि ३ साल के सर्वे के बाद अंधेपन के शिकार मरीजों की सूची बनाई गई थी। जितना नेत्र दान होता है उसमें से १० से ४० फीसदी कार्निया सही होता है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां की स्थिति बेहतर है। तय समय तक लक्ष्य को पूरा कर लेंगे। स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर ७ अस्पताल प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।