मसलन, होम आइसोलेशन में रह रहे 28 प्रतिशत मरीजों ने कहा कि उनके परिजनों को कोरोना के लक्षण है। इसके उलट, 18 प्रतिशत संक्रमितों ने कहा कि उनके परिजन डॉक्टरों की बताई दवाइयां नहीं ले रहे हैं। 17 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में मगर उनके उपचार के लिए डॉक्टर निर्धारित नहीं किए गए है।
यह फीडबैक रिपोर्ट 824 मरीजों को किए गए फोन कॉल के जरिए पूछे गए 13 सवालों से तैयार की गई है। जिसका मकसद कमियों को पहचानकर उन्हें दूर करना है। एक सवाल का 100 प्रतिशत जवाब- जब मरीजों से पूछा गया कि क्या उनके संक्रमित होने के बाद परिवार के सदस्य जिन्हें कोरोना के लक्षण है, उनका कोरोना टेस्ट करवाया गया है? इन्होंने कहा हां। यह स्पष्ट है कि लोग जागरुक हुए हैं।