सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग के अवर मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष दोनों प्रस्ताव का लेखा-जोखा रखा है। अंतिम मुहर मुख्यमंत्री को लगानी है। मंत्रालय पदस्थ एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में आचार संहिता लगी हुई है, जो 3 नवंबर को मरवाही उप चुनाव के मतदान के साथ समाप्त होगी। संभव है कि सरकार उस दिन एरियर्स की घोषणा करे या चुनाव आयोग से मंजूरी लेकर राज्य स्थापना दिवस के पहले भी घोषणा संभव है। मालूम हो, कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ 6 किस्तों में देने का फैसला हुआ था। अभी तक उन्हें सिर्फ दो किस्त जारी हुई है।
सरकार के पास दो विकल्प पहला दूसरा कर्मियों को 2065 करोड़ का नुकसान: फेडरेशन इधर, एरियर्स, डीए सहित अन्य मांगों को लेकर शासकीय अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने 1 नवम्बर को राजधानी में और 3 नवम्बर को जिलों में प्रदर्शन की चेतावनी दी है। फेडरेशन का दावा है, प्रदेश के कर्मचारी 18 महीने में 2065 करोड़ का नुकसान उठा चुके हैं। फेडरेशन के प्रवक्ता ने बताया कि नुकसान के आंकलन के लिए दो टीम बनाई गई थी। टीम की रिपोर्ट के मुताबिक 1 जुलाई 2019 को लंबित महंगाई भत्ता और एरियर्स के रूप में 650 करोड़, जनवरी 2020 में लंबित महंगाई भत्ता व एरियर्स की वजह से 625 करोड़, 1 जुलाई 2020 से रोकी गई वार्षिक वेतनवृद्धि के कारण 540 करोड़ और सातवें वेतनमान की तीसरी किस्त का भुगतान नहीं होने के कारण 250 करोड़ का नुकसान हुआ है।
क्या कहते हैं कर्मचारी-अधिकारी संगठन शासकीय-कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि हमारी तरफ 5 बिंदुओं पर मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखी गई थीं। उन्होंने आश्वासन दिया था कि जल्द निर्णय लेंगे। तो वहीं मंत्रालय शीर्ष लेखक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष देवलाल भारती का कहना है कि सीएम के आश्वासन के बाद ही हमने आंदोलन वापस लेने का फैसला लिया था।