2 सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार से बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है। इस प्रकार देखा जाए तो रकबे में 3 लाख 32 हजार हेक्टेयर तथा किसानों की संख्या में 6.32 लाख की बढ़ोतरी हुई है। इस साल धान बेचने के लिए पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 21.29 लाख से अधिक और धान पंजीयन का रकबा 27.59 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है।
प्रदेश में वर्ष 2017-18 में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। 2 सालों के दौरान धान खरीदी का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया है। इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है। इसको लेकर राज्य शासन की तरफ से हर संभव व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। धान उपार्जन के लिए बारदाने की कमी के बावजूद भी सरकार इसके प्रबंध में जुटी है। धान उपार्जन केन्द्रों में किसानों की सहूलियत को लेकर सभी व्यवस्थाएं की जा रही है।
धान बेचने वालों की संख्या बढ़ी
राज्य में 2 सालों में पंजीकृत की तुलना में धान बेचने वाले किसानों के प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 76.47 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा था। वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92.61 प्रतिशत हो गया है। बीते विपणन वर्ष 2019-20 में 94.02 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था।
राज्य में 2 सालों में पंजीकृत की तुलना में धान बेचने वाले किसानों के प्रतिशत में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 76.47 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा था। वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92.61 प्रतिशत हो गया है। बीते विपणन वर्ष 2019-20 में 94.02 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था।