रायपुर

प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 371 पद खाली, वेतन बढ़ा पर बजट नहीं

बड़ा सवाल: आखिर कैसे हो बात गुणवत्तायुक्त इलाज और शिक्षा की, जब डॉक्टर व प्रोफेसर ही नहीं हैं, डीएमई ने कहा- नए सत्र में मिलेगा बजट, अभी पुराने से करनी हैं नियुक्तियां

रायपुरDec 10, 2019 / 06:24 pm

Nikesh Kumar Dewangan

प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 371 पद खाली, वेतन बढ़ा पर बजट नहीं

रायपुर. प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। यही कमी हर साल संबद्धता के रास्ते में आड़े आती है। केंद्र को शपथ-पत्र देना पड़ता है कि कमियां दूर कर सूचित करेंगे। छह शासकीय कॉलेज और इनसे संबद्ध अस्पतालों में डॉक्टर-प्रोफेसर के १०१० पद स्वीकृत हैं। लेकिन स्थिति यह है कि इनमें ३७१ खाली हैं। सर्वाधिक कमी बिलासपुर, राजनांदगांव, अंबिकापुर में है। सरकार असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर सीधी भर्ती कर नहीं रही,यही वजह है कि रायपुर मेडिकल कॉलेज को छोड़ शेष पांच कॉलेजों को स्वशासी मद से भर्ती के अधिकार दे दिए गए हैं। वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को भी सरकार ने हरी झंडी दे दी, ताकि डॉक्टरों को आकर्षित किया जा सके। मगर बजट नहीं दिया। इससे ये अंदाजा लगाया चिकित्सा शिक्षा के प्रति शासन-प्रशासन कितना संवेदनशील है।
हर साल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के संबद्धता संबंधित निरीक्षण के पहले रायपुर मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों के तबादला आदेश जारी किए जाते हैं। डॉक्टर जाते हैं, निरीक्षण के बाद वापस आ जाते हैं। जिन्हें स्थायी तौर पर भेजा जाता है, वे भी जुगाड़ से वापस कर लेते हैं। स्थिति यह है कि रायपुर कोई छोडऩा नहीं चाहता। यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि जिनके जुगाड़ नहीं होते, वे नौकरी ही छोड़ देते हैं।
कहां कितने पद खाली
रिक्त पद स्वीकृत पद
पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, रायपुर 260 78
छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस (सिम्स) बिलासपुर 179 83
स्व. बलीराम कश्यप मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, जगदलपुर 105 24
स्व. लखीराम अग्रवाल मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, रायगढ़ 91 29
भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, अंबिकापुर 148 62
शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर, अंबिकापुर 112 26
डॉक्टर-प्रोफेसर नहीं मिलने की यह है वजह
निजी अस्पतालों, कॉलेजों में अच्छा वेतन मिलना।
दूसरे जिलों की तुलना में रायपुर में बच्चे की शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल होना।
सुरक्षित महसूस न करना।
रायपुर मेडिकल कॉलेज में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस से अच्छी आमदनी होना।

मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मानिक चटर्जी ने बताया कि देखिए, आज सबसे ज्यादा कमी एसआर-जेआर की है। आज आपने पीजी की छात्रवृत्ति बढ़ दी, जो एसआर से अधिक हो चुकी है। कॉलेजों में एसआर-जेआर न होने की वजह से संबद्धता में मुश्किल आती है। जब तक आप अच्छे पैकेज नहीं दोगे तो डॉक्टर क्यों आएंगे? उनके पास तो निजी कॉलेजों, अस्पतालों के विकल्प हैं। सरकारी सैलरी स्ट्रक्टर में बदलाव करने की सख्त जरुरत है। विभाग को इसके बारे में सोचना चाहिए।
चिकित्सा शिक्षा के संचालक डॉ. एसएल आदिले ने बताया कि प्राध्यापकों, डॉक्टरों के बढ़े हुए वेतन का प्रस्ताव तो है लेकिन अभी बजट नहीं मिला है। जब तक बजट नहीं मिल जाता, तब तक पुराने पैकेज पर ही नियुक्तियां दी जाएंगी। समस्या तो है।
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