
रायपुर .मध्य प्रदेश में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त नेताओं-बाबाओं को लेकर जो विवाद छिड़ा है, उसकी चर्चा छत्तीसगढ़ में भी हो रही है। छत्तीसगढ़ में कुल 38 लोग ऐसे हैं, जो मंत्री पद या मंत्री पद जैसी सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं, जिनके वेतन-भत्तों का प्रति वर्ष सरकार पर करीब 5,31,80,000 रुपए का भार पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ की सरकार में मुख्यमंत्री समेत कुल 13 पूर्ण मंत्री हैं, जबकि 14 ऐसे लोग हैं, जिनको मंत्री या राज्यमंत्री पद का दर्जा मिला हुआ है। इसके अलावा 11 संसदीय सचिव भी हैं, जिनको मंत्रियों जैसी सुविधा प्राप्त है।
इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा
वधायक देवजी पटेल, संतोष बाफना, युद्धवीर सिंह जूदेव, श्याम बैस, शिवरतन शर्मा, सियाराम साहू ऐसे विधायक हैं, जो विभिन्न निगम मंडलों में पदस्थ हैं। इन्हें कैबिनेट मंत्री को दिया जाने वाला वेतन ही प्राप्त होता है। इसके अलावा गैर-विधायकों में भाजपा की पूर्व मंत्री लता उसेंडी और चंद्रशेखर साहू को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है।
इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा
छत्तीसगढ़ में 6 लोग राज्यमंत्री का दर्जा भी रखते हैं। इनमें से चुन्नीलाल साहू, राजशरण भगत, भोजराज नाग और सनम जांगड़े विधायक हैं, जबकि राज्यमंत्री का दर्जा रखने वाले निर्मल सिन्हा और रामजी भारती विधायक नहीं हैं।
11 संसदीय सचिव
छत्तीसगढ़ में कुल 11 संसदीय सचिव हैं। संसदीय सचिवों को प्रतिमाह 21 हजार रुपए वेतन दिया जाता है, इनके भी निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता 40 हजार और प्रतिदिन का दैनिक भत्ता 2000 रुपए है।
मध्यप्रदेश में ये है हाल
मध्यप्रदेश में कुल 134 लोग ऐसे हैं, जिनको मंत्री पद का सुख हासिल है, जिनपर मध्यप्रदेश के सालाना 30 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
इतना वेतन-भत्ता ?
अगर हम मंत्री की बात करें, तो 30 हजार रुपए वेतन है, राज्य मंत्री का 28 हजार रुपए है, 40 हजार रुपए निर्वाचन भत्ता और 2000 रुपए दैनिक भत्ता है। इसके अलावा भी अनेकों सुविधाएं मंत्रियों को हासिल हैं, जिसका कुल हिसाब लगाना आसान नहीं है।
Published on:
06 Apr 2018 01:09 pm
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