यह स्थिति होगी निर्मित
1. प्रदेश में स्थापित एवं संचालित 416 उसना मिलों के पास कोई कार्य नहीं होगा जिससे लाखों श्रमिक एवं कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे।
2. उसना चावल मिलों में किया गया लगभग 4000 करोड़ का निवेश ठप तो हो जाएगा जो कि बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं से ऋण के रूप में जुटाया गया है जो कि वित्तीय जोखिम में आ जाएंगे।
3. उसना मिलो के बंद होने से उससे प्राप्त होने वाले सह उत्पाद उपलब्ध नहीं होने के कारण सहायक उद्योगों में कच्चे माल की कमी से उक्त उद्योग प्रभावित होंगे एवं वहां नियुक्त कर्मचारी श्रमिकों को रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।
4. छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी।
416 राइस मिलों में 10 हजार से अधिक मजदूर इन दिनों कार्यरत है। छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश रूंगटा व प्रदेश प्रवक्ता परमानंद जैन ने बताया कि राज्य में उत्पादित होने वाले धान की 60 फीसदी मात्रा का धान उसना चावल बनाने के योग्य होता है। शेष 40 फीसदी धान से ही अरवा चावल बनाया जा सकता है। उसना योग्य धान से यदि जबरिया अरवा चावल का विनिर्माण किया जाए तो प्रति क्विंटल धान से मात्र 30 से 35 किलो चावल प्राप्त होगा। बाकी भाग टूटन के रूप में कनकी, खंडा, रफी के रूप में प्राप्त होगा, जिससे बड़ा आर्थिक नुकसान सभी मिलों को होगा, जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल है एवं प्रदेश की सभी मिले दिवालिया होने की स्थिति में आ जाएंगी। इस मामले में राइस मिलर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित केंद्रीय खाद्य मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम के आला अधिकारियों को स्थिति से अवगत करा दिया है। बता दें कि उसना चावल के मामले में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर सीधे सवाल खड़ा करते हुए स्थिति से अवगत कराया है।
अरवा का 67.57 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य
एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि इस वर्ष केंद्र सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए प्रदेश से अरवा चावल उपार्जन का अनुमानित लक्ष्य 67. 57 लाख मीट्रिक टन रखा है, जबकि उसना चावल का उपार्जन लक्ष्य निरंक है। प्रदेश में स्थापित मिलों की धान की मिलिंग क्षमता बहुत अधिक है। 105 लाख मीट्रिक टन धान कि मीलिंग मात्र 5 माह में पूरा किया जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार एवं केंद्रीय सरकार के पास चावल भंडारण के लिए पर्याप्त गोदाम एवं अधोसंरचना उपलब्ध ही नहीं है।
मिलिंग नहीं होने से सड़ सकता है धान
इस वर्ष प्रदेश में लक्षित 105 लाख मीट्रिक टन धान की पूरी अरवा मिलिंग संभव ही नहीं है। पूरे धान की अरवा मिलिंग नहीं होने की दशा में धान संग्रहण केंद्रों में ही रखा रह जाएगा। अंतत: वर्षा,गर्मी और मौसम के प्रभाव से लाखों टन धान पूरी तरह अमानक एवं सड़ जाएगा, जिसकी आगामी कोई उपयोगिता ही नहीं रहेगी। यह समस्या हजारों करोड़ की राष्ट्रीय क्षति के रूप में प्रदेश एवं देश के सामने आने वाली है।