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संभाग कमिश्नर ने बीते साल मार्च माह में ही सभी बाबुओं के विभाग बदलने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद कलेक्टर ने दो माह पहले सभी बाबुओं की स्थान परिवर्तन कर दिया था। बाबुओं की शिकायतें आने पर संभाग कमिश्नर ने रायपुर समेत नहीं संभाग के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया था कि बाबुओं की टेबल बदली जाए।यह है कारण
शासन की मंशा रही है कि जिला और स्थानीय प्रशासन पर ऐसी व्यवस्था बनायी जाए जिससे लिपिकों को सभी शाखाओं के कामों की जानकारी हो। इससे भविष्य में भी उनसे किसी भी विभाग में बेहतर काम लिया जा सकेगा। अभी अधिकतर लिपिक एक ही शाखा और टेबल में लंबे समय से रहने के कारण कार्यालयों की अन्य शाखाओं के कामों की जानकारी नहीं रख पाते।
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तहसील का बुरा हाल
तहसील कार्यालय में वर्षों से स्थान नहीं बदलने के कारण बाबूओं की मनमानी चरम पर है। वे आम जनता के काम के निपटारे में देरी करते हैं। जनता के लिए तहसील में तयशुदा सिटीजन चार्टर का भी पालन नहीं करते। तहसील कार्यालय में ऐसे 11 बाबू हैं जो बीते 7 से 8 वर्षों से एक ही कार्य का प्रभार संभाल रहे हैं।