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कन्या हायर सेकंडरी स्कूल की छात्राएं कक्षा में खड़े-खड़े पढऩे-लिखने को मजबूर

locationरायपुरPublished: Jan 17, 2023 04:56:07 pm

Submitted by:

Gulal Verma

वर्तमान में हालत ऐसे है कि हायर सेकंडरी की छात्राओं को कक्षा में पढ़ाई-लिखाई खड़े होकर करनी पड़ रही है। शासन-प्रशासन जिम्मेदारों और जनप्रतिनिधियों के उपेक्षित रवैए के चलते तीन वर्ष से यह स्थिति बनी हुई है।

कन्या हायर सेकंडरी स्कूल की छात्राएं कक्षा में खड़े-खड़े पढऩे-लिखने को मजबूर
कन्या हायर सेकंडरी स्कूल की छात्राएं कक्षा में खड़े-खड़े पढऩे-लिखने को मजबूर
गरियाबंद। जिला मुख्यालय स्थित 1976 में बना शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इस स्कूल से गरियाबंद समेत आसपास के गांवों की कई पीढिय़ां पढ़ कर निकल गई हैं। लेकिन आज गरियाबंद जिला बनने के बाद भी स्कूल अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। बावजूद इसके जिले के किसी भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ने अब तक इसकी सुध नहीं ली है। वर्तमान में हालत ऐसे है कि हायर सेकंडरी की छात्राओं को कक्षा में पढ़ाई-लिखाई खड़े होकर करनी पड़ रही है। शासन-प्रशासन जिम्मेदारों और जनप्रतिनिधियों के उपेक्षित रवैए के चलते तीन वर्ष से यह स्थिति बनी हुई है।
आत्मानंद स्कूल शुरू होने के बाद कन्या शाला और पूर्व बालक प्राथमिक शाला को मिलाकर दोनों स्कूलों की स्टडी होती है। तीन नए कमरे बनाने के चलते 3 वर्ष पहले कन्या शाला के हॉल समेत कुल 9 कमरों को तोड़ दिया गया और तीन नए कमरों का निर्माण नगर पालिका के ठेकेदारों के माध्यम से शुरू किया गया। मगर, अब तक पूर्ण नहीं किया गया है। हालत ऐसे हैं कि 3 कमरे बनाने के बाद भी बच्चों को पढऩे के लिए दिक्कत रहेगी। छात्राएं पिछले 3 वर्षों से अव्यस्था के बीच पढ़ाई कर रही हैं। पूर्व छात्राओं ने कहा कि इससे अच्छी स्थिति तो जिला बनने के पहले थी।
3 वर्ष बाद भी कमरों का निर्माण अधूरा
कन्या शाला में जिन कमरों का निर्माण 6 माह में करके देना था, वह लगभग 3 वर्ष बीतने के बावजूद अधूरे हैं। आत्मानंद में 8 माह पूर्ण होने वाले कमरे 10 माह बाद भी आधे नहीं बने हैं। कन्या उच्चतर शाला में नगर पालिका के माध्यम से 2 ठेकेदारों ने 3 नए कमरे बनाने का काम लिया थ । जिसमे ऊपर नीचे दो कमरों का निर्माण एक ठेकेदार के द्वारा तथा एक अन्य कमरे का निर्माण दूसरे ठेकेदार के द्वारा होना था। परंतु एक कमरे का निर्माण जिस एजेसी को मिला था उन्होंने उसे पेटी कांट्रेक्ट के माध्यम से दूसरे ठेकेदार को दे दिया है। उस ठेकेदार के द्वारा लेंटर नहीं किए जाने के चलते दूसरे ठेकेदार का भी काम रुका हुआ है। नगर पालिका के एग्रीमेंट के मुताबिक काम को 6 माह में पूरा करके हैंडओवर करना था, मगर 3 वर्ष होने के बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है। इसी तरह आत्मानंद स्कूल में आरईएस विभाग के माध्यम से 3 कमरे नीचे और 3 कमरे ऊपर कुल 6 कमरे 8 माह में बना कर देना था। मगर 10 माह बीत जाने के बाद भी नीचे के तीन कमरे ही बने हैं, जिसमें अभी लेंटर होना बाकी है। जिसके चलते आत्मानंद स्कूल के बच्चे भी अव्यवस्थाओं में पढऩे को मजबूर हैं।
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