एक किलो पाउडर की हुई थी पैकिंग
सरकार की मंशा थी कि कुपोषण दूर करने के लिए आंगनबाड़ी के बच्चों को मीठा पाउडर दूध उपलब्ध कराया जाए। इसे 1 किलो की पैकिंग में पैक कर कुपोषण प्रभावित जिलों में वितरण करना था। लेकिन देवभोग के अधिकारियों की लापरवाही से योजना परवान नहीं चढ़ पाई। जबकि, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच की अचार संहिता में ढाई माह का समय मिला था।
दूध को पाउडर बनाने में किया लाखों खर्च
महासंघ के अधिकारियों ने पहले तो दूध को पाउडर बनाने के लिए 26 रुपए किलो के हिसाब से बनाया। दुग्ध महासंघ समितियों से दूध खरीदता है 22.50 रुपए प्रति लीटर। शासन से 6.50 रुपए ट्रांसपोर्टेशन शुल्क किसानों के खाते में जाती है। इसके बाद चिलिंग सेंटर से दूध देवभोग प्लांट तक पहुंचाया जाता है। इस प्रकार एक लीटर दूध के लिए महासंघ को 35 रुपए खर्च करना पड़ता है। 10 लीटर दूध से एक किलो मिल्क पाउडर का निर्माण होता है।
75 प्रतिशत दूध अभी वचन के पास
वचन से 25 फीसदी दूध देव भोग ने वचन डेयरी से ले लिया था। अब वचन को मेकिंग पेमेंट बकाया होने के कारण बाकी का 75 फीसदी दूध देने से इंकार कर रहा है। इसके अलावा गोदाम किराया भी मांग रहा है।
50 टन माल अभी संघ के पास पड़ा है
पहले से अतिरिक्त दूध का तकरीबन 50 टन पाउडर दूध (25 किलो की बोरी में) पहले से ही देवभोग के गोदाम में पड़ा हुआ है। कारण यह है कि खुले बाजार में पाउडर दूध की कीमत 210 से 215 रुपए तक है। जबकि देवभोग के पाउडर दूध की कीमत 250 रुपए बाजार पहुंचकर पड़ रही है। इसलिए बाजार में खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं।