इसके पहले चांदा-मुनारा के माध्यम से गांवों की सीमाओं को निर्धारण किया जाता था। लेकिन कुछ भूमाफियाओं नें चांदा-मुनारा गायब करके सरकारी जमीनों पर कब्जा कर लिया। अब प्रशासन ने उन्हीं भूमि का खसरा ढूंढने के लिए सेंटर प्वाइंट बनाने की तैयारी की गई है।
गूगल मैप से तय होगी सीमाएं शासन द्वारा अब सभी गांवों की समाओं को तय करने के लिए गूगल मैप का उपयोग किया जाएगा। इन गावों का अलग-अलग नक्शा बनाने का काम किया जाएगा। इसके लिए पुराने चांदा-मुनारा या सेंटर प्वाइंट होना जारूरी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गूगल मैप से इन गांवों का नक्शा रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। नगर निगम इस कार्य के लिए सर्वे शुरू कर चुकी है। वर्तमान में चिन्हित गांवों से शासन को मिलने वाले राजस्व व भौतिक स्थिति को लेकर सर्वे किया जाना है। सर्वे कार्य पूरा होते ही यह रिपोर्ट शासन के पास भेजी जाएगी।
इसलिए जरुरी चांदा-मुनारा गायब होने से सीमांकन के मामले निपटाने में राजस्व कर्मचारियों को बंदोबस्त के साथ ही जमीन के सीमांकन के लिए गांव में किसी एक जगह को मानक मानकर उसी आधार पर राजस्व के आंकड़े तैयार किए जाते हैं। गांवों का सेंटर प्वाइंट नहीं मिलने की वजह से कई मर्तबा राजस्व अमला परेशान व हैरान हो जाता है। इसलिए सेंटर प्वाइंट बनाने के शासन की ओर से पहल की जा रही है।
पटवारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी। अधिकांश गावों की रिपोर्ट मिल चुकी है। कुछ जगहों की लंबित है। पटवारियों को फिर निर्देशित किया दिया गया है। प्रमोद गुप्ता, प्रभारी, भू अभिलेख शाखा रायपुर