शिव प्रसाद पंवार, सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर, रेलवे
रायपुरPublished: Oct 28, 2020 05:29:07 pm
VIKAS MISHRA
अब तो सरकारी और सामाजिक भवनों के भी सेंटर हो गए खाली
कोरोना मरीजों के काम नहीं आए रेलवे के 55 आइसोलेशन कोच, रखे-रखे बीते 7 माह
रायपुर. कोविड-19 के इलाज के लिए रेलवे का एक भी आइसोलेशन कोच काम नहीं आया। ऐसे 55 कोच रायपुर रेल मंडल ने आपात स्थिति से निपटने के लिए बनाया था। वे सभी कोच रेलवे यार्ड में ही पिछले सात महीने से खड़े-खड़े अब तो खराब होने लगे हैं। हालांकि अभी कोरोना संक्रमण खत्म नहीं हुआ है, परंतु फैलाव में काफी गिरावट आ गई है। अब तो सरकारी और सामाजिक भवनों के कोविड सेंटर भी खाली हो गए। ऐसे में ट्रेनों के आइसोलेशन कोच को खाली करने के लिए अफसरों को रेलवे बोर्ड के आदेश का इंतजार है।
ट्रेनों के आइसोलेशन कोच को लेकर रेलवे के गलियारे में चर्चा है। इस पर करीब एक 70 से 80 लाख रुपए खर्च हुआ, जिसे कोविड बेड बनाने में दिन-रात काम चला था, लेकिन राज्य शासन को उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी। माना जा रहा है कि दिवाली के बाद और कई ट्रेनें चलाने की घोषणा की जा सकती है। ऐसे में उन कोचों की जरूरत रेलवे को पड़ेगी। अभी रायपुर जंक्शन से 22 जोड़ी यात्री ट्रेनों की आवाजाही हो रही है। जबकि आमतौर पर हर दिन 130 ट्रेनें चलती थीं। इसलिए आगे जब भी और ट्रेनें चलाना तय होगा तो रेलवे को कोच कम पड़ेंगे।
एक कोच में 8 बेड
ट्रेन के एक कोच में 8 बेड बनाए गए थे। 55 कोच में से 50 रायपुर डिवीजन में और 5 नागपुर डिवीजन के हैं, जिनमें 440 बेड तैयार हैं। खिड़कियों में पर्दे, बाथ रूप में बाल्टी-मग रखे गए। ऑक्सीजन के लिए उपकरण लगाए गए। मिडिल सीट को ब्लॉक किया गया।