26 दिन में तीन भालुओं की हो गई थी मौत... कानन पेंडारी में 26 दिन के भीतर ही तीन भालुओं की मौत हुई थी। पहली मौत 26 फरवरी को हुई, तब प्रबंधन ने निमोनिया को किलर बताया। 10 मार्च को दूसरे भालू ने भी अचानक दम तोड़ दिया। मई में मादा भालू कविता की मौत हो गई। जू में इनफ़ेक्सेस केनान हेपेटाइटिस (आईसीएच) संक्रमण फैलने की आशंका जताई गई।
तीन दरियाई घोड़े की हो चुकी है मौत कानन में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दरियाई घोड़े भी लाए गए थे, लेकिन इनके रखरखाव और उपचार में लापरवाही के कारण पहले एक-एक कर तीन दरियाई घोड़े की मौत हो गई। आखिरी मौत 12 फरवरी 2022 को हिप्पोपोटामस सहेली की हुई थी। इसे दौरान उसके पेट में एक बच्चा भी था।
114 हेक्टेयर में फैला है कानन जू...
कानन में करीब 6 करोड़ पर्यटक हर साल आते हैं। 114 हेक्टेयर में फैले हुए इस जू में 60 स्पीशीज के लगभग 679 जानवर मौजूद हैं। मौजूदा वक्त में 7 शेर यहां पर हैं। इनमें 3 नर शेर हैं। 3 सफ़ेद बाघ और 4 बंगाल टाइगर हैं। एक शुतुरमुर्ग के साथ साथ पहले 6 बायसन यानी कि जंगली भैंसे भी मौजूद थे। पिछले दिनों दो बायसन की मौत के बाद इनकी संख्या अब 4 रह गई है। इस तरह से 1 साल के भीतर 25 से अधिक वन्यप्राणियों की मौत हुर्ह है।
कानन में करीब 6 करोड़ पर्यटक हर साल आते हैं। 114 हेक्टेयर में फैले हुए इस जू में 60 स्पीशीज के लगभग 679 जानवर मौजूद हैं। मौजूदा वक्त में 7 शेर यहां पर हैं। इनमें 3 नर शेर हैं। 3 सफ़ेद बाघ और 4 बंगाल टाइगर हैं। एक शुतुरमुर्ग के साथ साथ पहले 6 बायसन यानी कि जंगली भैंसे भी मौजूद थे। पिछले दिनों दो बायसन की मौत के बाद इनकी संख्या अब 4 रह गई है। इस तरह से 1 साल के भीतर 25 से अधिक वन्यप्राणियों की मौत हुर्ह है।
तीन बायसन ने भी तोड़ा था दम... कानन में लगातार बायसन की भी मौत हो रही है। नर बायसन वीरू के अलावा यहां दो अन्य बायसन की भी मौत हो चुकी है। प्रबंधन इनकी मौत का कारण हार्ट अटैक बताता रहा है। दो दिन पहले बायसन के एक 5 माह के बच्चे की भी मौत हो गई, जिसकी वजह प्रबंधन ने निमोनिया को बताया।
कानन पेंडारी के डीएफओ विष्णु नायर ने कहा कानन पेंडारी में जितनी मात्रा में वन्यप्राणी हैं, उसके हिसाब से चिकित्सक नहीं है। अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टर की मांग पहले भी की गई थी। हाल ही में शासन को पत्र लिखा गया है। छोटी-छोटी बीमारियों के चलते जो मौतें हो रही हैं। वो चिंता जनक है।