इसके पहले सर्वाधिक रिकवरी रेट 6 जुलाई को 80 प्रतिशत था। इसके पीछे प्रमुख 2 वजहें हैं। पहला, होम आईसोलेशन का विकल्प और दूसरा, मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने वाले नियमों में किए गए बदलाव। हालांकि दूसरी तरफ मौतों का आंकड़ा सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। मृत्युदर 0.882 प्रतिशत पर है।
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गौरतलब है कि सितंबर में 3 हजार से अधिक मरीज रिपोर्ट हो रहे थे। अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर में बेड के लिए मारामारी शुरू हो चुकी थी। हालात बिगड़ते जा रहे थे। रिकवरी रेट तब 46 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। मगर, अक्टूबर की शुरुआत से मरीजों के स्वस्थ होने की गति बढ़ी और मरीजों के मिलने की गति धीमी पड़ी।
रायपुर से मिल रही बड़ी राहत-
प्रदेश की राजधानी रायपुर में मरीजों की संख्या में स्थिरता देखने मिल रही है। बीते 12 दिनों में एक दिन भी मरीजों की संख्या 400 से पार नहीं पहुंची। दो बार तो 300 के अंदर मरीज रिपोर्ट हुए। जबकि सर्वाधिक मरीज रायपुर से ही रिपोर्ट होने की वजह से संक्रमित और एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही थी। वर्तमान में जांजगीर चांपा, दुर्ग, रायगढ़ और राजनांदगांव में मरीज मिल रहे हैं।
रिकवरी रेट बढऩे की 3 वजहें-
होम आईसोलेशन- प्रदेश में होम आईसोलेशन का नियम अगस्त के आखिरी हफ्ते में लागू किया गया।जिसके बाद से अब तक 53,073 मरीजों ने इस विकल्प का इस्तेमाल किया और कोरोना को मात दी।
डिस्चार्ज नियमों में बदलाव- पहले कोरोना संक्रमित मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले फिर से कोरोना टेस्ट अनिवार्य था। मगर, इस नियम को बदला गया, क्योंकि मरीजों की संख्या बढ़ रही थी। अस्पतालों में बेड कम पड़ रहे थे। अगर, लक्षण नहीं है तो मरीज को 5-7 दिन में छुट्टी दी जा रही है।
मरीजों का कम मिलना- सितंबर में मरीजों के मिलने की रफ्तार काफी अधिक थी। 3,856 मरीज तक 24 घंटे में रिपोर्ट हुए थे। मगर, बीते 12 दिनों में 3 हजार से कम मरीज ही रिपोर्ट हुए हैं।
होम आईसोलेशन की वजह से मरीजों के ठीक होने की दर में काफी वृद्धि हुई है। मरीजों अभी भी 2000 से अधिक ही रिपोर्ट हो रहे हैं, मगर एक्टिव मरीजों की संख्या स्थिर है।निश्चित तौर पर लोग जागरूक भी हुए हैं।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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