इस बार भी छात्रों ने विशेष ब्रांचों में एडमिशन लेने के लिए विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है। सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर्स समेत कई ऐसे ब्रांच हैं जिनमें बड़ी संख्या में सीट खाली है। दो चरणों में काउंसिलिंग के बाद 45 कॉलेज में मात्र 20 फ ीसदी सीट भर पाई है, 80 फीसदी खाली है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 16006 सीटें हैं। गौरतलब है कि अगर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटी) का नया नियम लागू होता है तो कई कॉलेजों पर कार्रवाई हो सकती है। एआइसीटी ने तीसरे चरण की काउंसलिंग के बाद प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों से पांच वर्ष में कितनी-कितनी सीट भरी, इसका आंकड़ा मांगा है। जिन कॉलेजों की पांच वर्ष में 30 फ ीसदी सीट नहीं भर पाई है, उन्हें बंद करने का निर्देश दिया जा सकता है। संभवत: यह नियम 2018-19 से लागू किया गया है।