इस पत्र के मद्देनजर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के डिवीजनों के परिचालन विभाग ने भी अपने स्तर पर ट्रेनों के रैक, इंजन आदि व्यवस्था की जानकारी जुटाने लगा है। हालांकि रेल अफसर अभी रेलवे बोर्ड से अधिकृत आदेश नहीं मिलने की बात कह रहे हैं। रेलवे अभी जितनी ट्रेनों का स्पेशल के दौर पर संचालन कर रहा है और उन ट्रेनों में डेढ़ से दोगुना किराया अधिक तय किया हुआ है। स्पेशल लोकल हो या मेल, एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनें हो सभी स्पेशल ही चल रही हैं। इसके पीछे रेलवे प्रशासन का तर्क यही कि जरूरी होने पर ही यात्री सफर करें, ताकि यात्रियों की संख्या अधिक न बढ़े, इसलिए किराया स्पेशल तय किया गया।
रैक इधर से उधर हो चुके लंबे अर्से से कई ट्रेनों के रैक यानि कि कोच इधर से उधर हो चुके हैं, क्योंकि जिन जोनों को अधिक जरूरत थी,वहां भेजे जा चुके हैं। वहीं 110 कोच अभी भी आइसोलेशन वार्ड में फंसे हुए हैं।
11 माह से गरीब रथ समेत कई गाडिय़ां बंद दक्षिण पूर्व रेलवे के रायपुर मंडल से होकर चलने वाली ट्रेनों की ही बात करें तो अभी अधिकांश ट्रेनों का परिचालन पिछले 11 महीने से बंद है। इनमें से रायपुर-लखनऊ गरीब रथ, रायपुर-विशाखापट्टनम, गोंदिया-झारसुगुड़ा पैसेंजर, दुर्ग-जयपुर, दुर्ग-अजेमर, गोंदिया-बरौनी एक्सप्रेस, बिलासपुर-गोंदिया शिवनाथ एक्सप्रेस, बिलासपुर-रेवा सुपरफास्ट पैसेंजर समेत कई ट्रेनें हैं। ये सभी ऐसी ट्रेन हैं, जिनमें गर्मी के पीक सीजन में नो रूम जैसी वेटिंग रहती है।
रेलवे के सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर शिव प्रसाद पंवार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण ही अभी अधिकांश ट्रेनों का परिचालन बंद है। इसलिए गर्मी के पीक सीजन को देखते हुए जरूरत पड़ सकती है। परंतु अभी रेलवे बोर्ड से अधिकृत तौर पर 90 प्रतिशत गाडिय़ां चलाने का आदेश नहीं मिला है।