‘पत्रिकाÓ को मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य भाषा आयोग द्वारा राज्य गीत को स्कूली किताबों में प्रकाशित करने के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) रायपुर को पत्र लिखा गया था। मगर इसकी जानकारी एससीईआरटी को है,न स्कूल शिक्षा विभाग को। पाठ्य पुस्तक निगम के अफसरों का कहना है कि आज की स्थिति में अगर पत्र मिल भी जाता है तो भी राज्य गीत को जोड़ पाना संभव नहीं। गौरतलब है कि 4 नवंबर 2019 को अरपा पैरी के धार, महानदी है अपार… को राज्य गीत का दर्जा मिल चुका है।
12 तक की किताबों में शामिल करने योजना-
राज्यभाषा आयोग के अफसरों की मानें तो अभी स्कूल शिक्षा की पाठ्य पुस्तकों में राज्यगीत शामिल हो जाए, इसके बाद माध्यमिक शाला और उच्चतर माध्यमिक शाला की किताबों में भी शामिल करवाएंगे। मानक शब्दों के चयन के लिए कमेटी भी गठित की जाएगी।जुलाई से शुरू हो जाती किताबों बनाने की–
प्राथमिक स्कूलों की किताबों की सामग्री एससीईआरटी तय करते हुए, इसे मुद्रण के लिए पाठ्य पुस्तक निगम को भेजता है। यह प्रक्रिया जुलाई में ही शुरू हो जाती है।जनवरी तक मुद्रण (प्रिटिंग) का काम पूरा हो जाता है, जो इस साल थोड़ा देरी से चल रहा है। इसके बाद बाइंडिंग और फिर संकुल स्तर तक पहुंचाने के बाद, जुलाई से किताबों का वितरण शुरू हो जाता है।क्या कहते हैं अफसर-
शासन से प्राप्त दिशा-निर्देश के बाद एससीईआरटी को राज्यगीत को पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित करने के लिए काफी पहले पत्र लिखा जा चुका है। छात्र को प्राथमिक शाला से ही अपने राज्यगीता का ज्ञान होना चाहिए। जेआर भगत, सचिव, छत्तीसगढ़ राज्यभाषा आयोग एससीईआरटी से अभी राज्यगीत से संबंधित कोई पत्र पाठ्य पुस्तक निगम को नहीं मिला है। इफ्फत आरा, प्रबंध संचालक राज्यगीत को स्कूली किताबों में प्रकाशित किया जाना है, इससे संबंधित कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। फिर भी मैं इस संबंध में जानकारी लेता हूं।
डॉ. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग