हीरा मानिकपुरी एनएसडी की राह कर रहे आसान
हीरा मानिकपुरी एनएसडी से पासआउट हैं। वे 6 साल मुंबई में रहे। अभी भी वे वहां से कनेक्टेड हैं। वर्ष 2012 में जब वे मुंबई में थे तब केबीसी के लिए ऑडिशन दिया। हजारों को पछाड़ते हुए सलेक्ट हुए। इस प्रोमो ने उनकी दुनिया ही बदल दी। अच्छी-खासी पहचान बन गई। हीरा बताते हैं कि प्रोमो का शूट दिनभर चला। शूट में अमिताभ मुझसे पहले पहुंच चुके थे। जैसे ही मैं सेट पर रिहर्सल के आया बिगबी मुझसे मुखातिब हुए और कहने लगे हेलो मैं अमिताभ बच्चन। उन्होंने बातों ही बातों में मुझे सहज किया। एक समय एेसा भी आया जब सेट चेंज करने के लिए ब्रेक हुआ। मैं वैनेटी वैन में चला या जबकि वे वहीं बैठे रहे। पूरे शूट के दौरान उनमें कोई स्टारडम वाला कोई एटिट्यूड नहीं था। मैंने उनसे सहजता, सब्र और काम के प्रति डेडिकेशन सीखा।
रायपुर में बैठकर भी काम किया जा सकता है
हीरा कहते हैं कि आज जरूरी नहीं आप मुंबई में ही काम करेंगे तो सक्सेस होंगे या दुनिया पहचानेगी। ग्लोबलाइजेशन का दौर है। हर किसी की नजर सभी जगह है। चूंकि मुझे रायपुर में थियेटर और एक्टिंग का काफी स्कोप नजर आया। मैंने रास्ता जरूर बदला लेकिन गोल चेंज नहीं किया। मैं अपने तजूर्बे से यहां के युवाओं को एनएसडी के लिए तैयार कर उन्हें गाइड कर रहा हूं। आने वाले दिनों में आपको रायपुर में बड़ा कॉन्सेप्ट नजर आने लगेगा।
जहां ड्रामा नहीं वहां रिश्ता नहीं
कोटा निवासी अल्का दुबे की ड्रामा के प्रति दीवानगी काफी प्रेरक है। हाल ही में उनके लिए रिश्ता आया जो लगभग फाइनल था। जहां शादी होनी थी वहां थियेटर अलाउ नहीं था। पैरेंट्स के कहने पर किसी तरह अल्का ने हामी भी भर दी। नाटक के रिहर्सल में जाना भी छोड़ दिया, लेकिन मन भटककर रंगकर्म की दुनिया में पहुंच जाता था। अंतत: अल्का ने तय किया जहां ड्रामा नहीं वहां रिश्ता नहीं। अल्का बताती है कि कॉलेज की दोस्त निक्कु के साथ नाटक देखने गई थी। इतना अच्छा लगा कि सीखने का मन बना लिया। गिरीश कर्नाड लिखित और जलील रिजवी निर्देशित नागमंडल में प्ले किया। तब से अब तक 15 से 20 नाटक में अलग-अलग भूमिकाएं की हैं। थियेटर के चलते एलबम, शॉर्ट मूवी मिलने लगी, आय भी होने लगी है। थियेटर एक ऐसा रास्ता है जहां एक नहीं बल्कि कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।
रिहर्सल देखा और जुड़े अभिनय से
लोकेश्वर साहू 9 साल की उम्र में वर्ष 2004 से थिएटर से जुड़े हैं। वे बताते हैं गुरुकुल परिसर में राजकमल नायक, मिर्जा मसूद, डॉ. कुंज बिहारी शर्मा के नाटकों के रिहर्सल देखता था। सबसे पहले मैंने ब्रूनो नाटक बच्चे का रोल किया। भटकते सिपाही, अंतरद्र्वंद्व, आजादी की अमर कहानी और छत्तीसगढ़ में गांधीजी जैसे नाटकों में अभिनय किया। लोकेश्वर ने बताया कि महाराष्ट्र मंडल से थियेटर सीख रहा हूं। लोकविधा का प्रशिक्षण भी ले रहा हूं। खैरागढ़ विश्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा भी प्राप्त की है। अभी मैं बीकॉम फाइनल ईयर का छात्र हूं। अब तक लगभग 50 स्टेज शो किया है जिसमें भिलाई, रायगढ़ बिलासपुर समेत दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो सिटी भी शामिल हैं।