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रायपुर की ऐसी फैमिली जिसमें एक डायरेक्टर बाकी एक्टर

locationरायपुरPublished: Mar 27, 2019 04:57:03 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

विश्व रंगमंच दिवस पर जानिए जुनूनी किस्से

world theatre day 2019

रायपुर की ऐसी फैमिली जिसमें एक डायरेक्टर बाकी एक्टर

ताबीर हुसैन @ रायपुर. आज के दौर में हर किसी के घर में अलग-अलग फील्ड के लोग होते हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर या इंजीनियर को बेटा इंजीनियर। यहां तक कि एक घर पर दो राजनीतिक दल के फॉलोवर मिल जाएंगे। ऐसे में हम कहें कि एक परिवार में सभी मेंबर रंगकर्म से जुड़े हैं तो थोड़ा आश्चर्य जरूर होगा। जी हां। शहर में एक ऐसी फैमिली है जिसका मुखिया डायरेक्टर है और बाकी मेंबर एक्टर। बात हो रही है छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ रंगकर्मी जलील रिजवी की। शादी से पहले ही जलील और नूतन थिएटर आर्टिस्ट थे। चूंकि दोनों की जिंदगी ड्रामा थी। दोनों रंगकर्म के लिए इतने समर्पित थे कि नाटकीय दुनिया से के साथ ही हकीकत में एक-दूसरे का हाथ थामने का फैसला लिया। इनके बच्चे भी थिएटर प्रेमी बने और ड्रामे का हिस्सा बनते चले गए। आज भी बेटे समीर रिजवी, सौरभ रिजवी और बिटिया सौम्या रिजवी अपने डैडी जलील रिजवी के निर्देशन में अभिनय करते हैं। पत्नी नूतन रिजवी भी हर कदम पति के साथ नाट्यमंचों में रहती हैं।
हबीब तनवीर के शहर में सुविधाओं की कमी
हबीब तनवीर को छत्तीसगढ़ में थिएटर का पितामाह कहा जाए तो कोई हैरत की बात नहीं होगी। न जाने कितने लोगों ने उनसे नाटक की बारीकियां सीखकर ऊंचा मुकाम हासिल किया है। सिटी में आज भी नाट्यकला अगर जिंदा है तो उनकी शोहबत में काम कर चुके लोगों की वजह से। शहर में थिएटर प्रेमियों की अच्छी-खासी संख्या है। इस वजह से यहां होने वाले नाटक सुर्खियां बटोरते हैं। हालांकि रंगकर्मियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं और न ही सुविधाएं मयस्सर हैं बावजूद वे ड्रामा को जिंदा रखे हुए हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि रंगकर्म की दुनिया में नई पौध भी कदम रख रही है। सिटी के युवा नाटक को लेकर न सिर्फ नाम रोशन कर रहे हैं बल्कि अवॉर्ड भी हासिल कर रहे हैं। २७ मार्च को वल्र्ड थियेटर डे मनाया जाता है।

हीरा मानिकपुरी एनएसडी की राह कर रहे आसान
हीरा मानिकपुरी एनएसडी से पासआउट हैं। वे 6 साल मुंबई में रहे। अभी भी वे वहां से कनेक्टेड हैं। वर्ष 2012 में जब वे मुंबई में थे तब केबीसी के लिए ऑडिशन दिया। हजारों को पछाड़ते हुए सलेक्ट हुए। इस प्रोमो ने उनकी दुनिया ही बदल दी। अच्छी-खासी पहचान बन गई। हीरा बताते हैं कि प्रोमो का शूट दिनभर चला। शूट में अमिताभ मुझसे पहले पहुंच चुके थे। जैसे ही मैं सेट पर रिहर्सल के आया बिगबी मुझसे मुखातिब हुए और कहने लगे हेलो मैं अमिताभ बच्चन। उन्होंने बातों ही बातों में मुझे सहज किया। एक समय एेसा भी आया जब सेट चेंज करने के लिए ब्रेक हुआ। मैं वैनेटी वैन में चला या जबकि वे वहीं बैठे रहे। पूरे शूट के दौरान उनमें कोई स्टारडम वाला कोई एटिट्यूड नहीं था। मैंने उनसे सहजता, सब्र और काम के प्रति डेडिकेशन सीखा।

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रायपुर में बैठकर भी काम किया जा सकता है
हीरा कहते हैं कि आज जरूरी नहीं आप मुंबई में ही काम करेंगे तो सक्सेस होंगे या दुनिया पहचानेगी। ग्लोबलाइजेशन का दौर है। हर किसी की नजर सभी जगह है। चूंकि मुझे रायपुर में थियेटर और एक्टिंग का काफी स्कोप नजर आया। मैंने रास्ता जरूर बदला लेकिन गोल चेंज नहीं किया। मैं अपने तजूर्बे से यहां के युवाओं को एनएसडी के लिए तैयार कर उन्हें गाइड कर रहा हूं। आने वाले दिनों में आपको रायपुर में बड़ा कॉन्सेप्ट नजर आने लगेगा।

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जहां ड्रामा नहीं वहां रिश्ता नहीं
कोटा निवासी अल्का दुबे की ड्रामा के प्रति दीवानगी काफी प्रेरक है। हाल ही में उनके लिए रिश्ता आया जो लगभग फाइनल था। जहां शादी होनी थी वहां थियेटर अलाउ नहीं था। पैरेंट्स के कहने पर किसी तरह अल्का ने हामी भी भर दी। नाटक के रिहर्सल में जाना भी छोड़ दिया, लेकिन मन भटककर रंगकर्म की दुनिया में पहुंच जाता था। अंतत: अल्का ने तय किया जहां ड्रामा नहीं वहां रिश्ता नहीं। अल्का बताती है कि कॉलेज की दोस्त निक्कु के साथ नाटक देखने गई थी। इतना अच्छा लगा कि सीखने का मन बना लिया। गिरीश कर्नाड लिखित और जलील रिजवी निर्देशित नागमंडल में प्ले किया। तब से अब तक 15 से 20 नाटक में अलग-अलग भूमिकाएं की हैं। थियेटर के चलते एलबम, शॉर्ट मूवी मिलने लगी, आय भी होने लगी है। थियेटर एक ऐसा रास्ता है जहां एक नहीं बल्कि कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।

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रिहर्सल देखा और जुड़े अभिनय से
लोकेश्वर साहू 9 साल की उम्र में वर्ष 2004 से थिएटर से जुड़े हैं। वे बताते हैं गुरुकुल परिसर में राजकमल नायक, मिर्जा मसूद, डॉ. कुंज बिहारी शर्मा के नाटकों के रिहर्सल देखता था। सबसे पहले मैंने ब्रूनो नाटक बच्चे का रोल किया। भटकते सिपाही, अंतरद्र्वंद्व, आजादी की अमर कहानी और छत्तीसगढ़ में गांधीजी जैसे नाटकों में अभिनय किया। लोकेश्वर ने बताया कि महाराष्ट्र मंडल से थियेटर सीख रहा हूं। लोकविधा का प्रशिक्षण भी ले रहा हूं। खैरागढ़ विश्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा भी प्राप्त की है। अभी मैं बीकॉम फाइनल ईयर का छात्र हूं। अब तक लगभग 50 स्टेज शो किया है जिसमें भिलाई, रायगढ़ बिलासपुर समेत दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो सिटी भी शामिल हैं।

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IMAGE CREDIT: world theatre day 2019
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