script

एक आतंक ऐसा भी!

locationरायपुरPublished: Jul 04, 2018 09:42:48 pm

Submitted by:

Gulal Verma

पिछले साल 80782 लोग श्वान काटने के शिकार हुए थे।

cg news

एक आतंक ऐसा भी!

प्रदेश में इन दिनों आवारा श्वानों ने भारी आतंक मचाया हुआ है। पिछले साल 80782 लोग श्वान काटने के शिकार हुए थे। यह सरकारी आंकड़ा है जो सरकारी अस्पतालों में दर्ज है। विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह आंकड़ा बताया है। सरकार ने यह भी बताया है कि पिछले तीन महीने में प्रदेश में 22607 लोग श्वान काटने के शिकार हुए हैं। इस तरह सरकार भी मान रही है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल आवारा श्वानों का आतंक बढ़ा है। इसी गति से आवारा श्वानों का आतंक बढ़ता रहा तो लोग मुश्किल में पड़ जाएंगे। क्योंकि, सरकार के पास आवारा श्वानों से लोगों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस उपाय ही नहीं है। सरकार के नुमांइदों का बस एक ही जवाब है कि सरकारी अस्पतालों में एंटीरैबिज दवा की कमी नहीं है। यह दवा मुफ्त में उपलब्ध कराया जा रहा है। तो क्या सरकार के कहने का मतलब यह है कि ‘श्वानों से कटवाओं और मुफ्त में इलाज करवा लो।Ó
न्यायाधानी बिलासपुर में आवारा श्वान सबसे ज्यादा खूंखार हैं। पिछले साल यहां 12643 लोगों को आवारा श्वानों ने काटा था। पिछले तीन माह में भी बिलासपुर के 4279 लोग आवारा श्वान के शिकार हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर राजधानी रायपुर और तीसरे नंबर पर दुर्ग है। पिछले दिनों भिलाई में एक वृद्धा को आवारा श्वानों ने जिंदा नोच डाला था। यह दिल दहलाने वाली घटना थी। इस पर जमकर राजनीति हुई पर हुआ कुछ नहीं। दुर्ग में भी एक श्वान ने सांड को काट दिया था। सांड पागल हो गया और छह लोगों को पटक-पटक कर घायल कर दिया। विडंबना है कि आवारा श्वानों पर नियंत्रण के लिए स्थानीय निकाय सरकार का ही मुंह ताक रहे हैं। आखिर और कितने लोग आवारा श्वानों के शिकार होंगे? पशु चिकित्सकों के अनुसार इस सीजन में श्वान ज्यादा आक्रमक होते हैं। श्वानों को मार नहीं सकते, लेकिन उन पर नियंत्रण तो किया जा ही सकता है। बहरहाल, शासन-प्रशासन को व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल सख्त कदम उठाना चाहिए। क्योंकि, हर जीवन बहुमूल्य है। आवारा श्वानों की संख्या घटे और लोग सुरक्षित हों, इसकी आज महती आवश्यकता है।

ट्रेंडिंग वीडियो