रायपुरPublished: Dec 02, 2022 11:16:32 am
Sakshi Dewangan
रिसर्च का काम तो हो ही रहा है, एक्प्लोरेशन का स्कोप कमजोर पड़ता है, क्योंकि जड़ी-बूटी या औषधीय पादप वन विभाग के तहत आते हैं। यदि प्रदेश में अन्य तीन राज्यों की तरह आयुष मंत्रालय बन जाता है तो इस दिशा में हर्बल स्टेट यानी छत्तीसगढ़ को काफी लाभ मिलेगा।
@जयंत कुमार सिंह. बिलासपुर. केंद्र में आयुष मंत्रालय के गठन के सात वर्ष बाद भी प्रदेश में आयुष मंत्रालय का गठन नहीं हुआ है। मजे की बात यह है कि जुलाई 2001 में छत्तीसगढ़ को हर्बल स्टेट घोषित किया गया है क्योंकि प्रदेश में 1525 औषधीय पौधे पाए जाते हैं। हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है, ऐसे में राज्य अलग से मंत्रालय का गठन करते हैं या नहीं ये उनका विवेकाधिकार है। इसके उलट देश के परिदृश्य में बात करें तो राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड ने बकायदा मंत्रालय का गठन कर दिया है। ये तो हुई मंत्रालय के गठन की बात अब यदि प्रदेश को मिलने वाले बजट की बात करें तो ये भी पूरी तरह से खर्च नहीं हो पा रहा है। नेशनल आयुष मिशन के तहत वर्ष 2019-20 और 20-21 में ही प्रदेश को लगभग साढ़े 35 करोड़ रुपए मिले जबकि खर्च केवल साढ़े आठ करोड़ रुपए के आसपास ही हो सका है।
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रिसर्च का काम तो हो ही रहा है, एक्प्लोरेशन का स्कोप कमजोर पड़ता है, क्योंकि जड़ी-बूटी या औषधीय पादप वन विभाग के तहत आते हैं। यदि प्रदेश में अन्य तीन राज्यों की तरह आयुष मंत्रालय बन जाता है तो इस दिशा में हर्बल स्टेट यानी छत्तीसगढ़ को काफी लाभ मिलेगा। वर्तमान में वन विभाग को लकड़ी भी पकड़ना है, जंगल की आग भी देखनी है, भालू भी पकड़ना है इसलिए फोकस के आधार पर कार्य नहीं हो पाता है।
डॉ. पी.के. बोंद्रिया, रिटायर्ड नियंत्रक, ड्रग टेस्टिंग लैब व अनुसंधान केंद्र रायपुर
सरगुजा और बस्तर दोनों जगहों पर औषधीय पौधों की भरमार है। वर्तमान में हम इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहे हैं। यदि आयुष मंत्रालय बन जाता है तो हमारा फोकस आयुर्वेद सहित अन्य होंगे। ऐसे में हम हर्बल गढ़ बन सकते हैं।
-डॉ. यशपाल सिंह ध्रुव, जिला आयुर्वेद अधिकारी, बिलासपुर
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क्या होगा फायदा
आयुष यानी आयुर्वेद योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी सिद्ध एवं होम्योपैथी को लेकर प्रदेश में काफी स्कोप है। 1525 औषधीय पौधे हैं। ऐसे में यदि अलग से मंत्रालय का गठन किया जाता है तो इसके लिए अलग बजट होगा, इसके कारण अनुसंधान से लेकर सुविधाओं तक में काफी मदद मिलेगी।
केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान की स्थिति
केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तहत 17 राज्यों में अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गई है। इसमें केरल, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, यूपी, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, ओडिशा, अंडमान निकोबार और राजस्थान शामिल हैं। इसमें प्रदेश का नाम नहीं है।