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विवादों में घिरी दागी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई, हाईकोर्ट में चुनौती देंगे कर्मचारी

locationरायपुरPublished: Aug 21, 2017 11:53:00 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

प्रदेश सरकार द्वारा दागी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के बाद सभी पुलिसकर्मी लामबंद हो गए हैं। उन्होंने इसमें मनमानी और दुर्भावना का आरोप लगाया है।

High court
रायपुर. प्रदेश के इतिहास में दर्ज हुई पुलिसकर्मियों पर सबसे बड़ी कार्रवाई विवादों में घिर गई है। प्रभावित पुलिसकर्मियों ने इसमें मनमानी और दुर्भावना का आरोप लगाया है। ये कर्मचारी इस कार्रवाई को चुनौती देने की तैयारी में हैं। इसके लिए उच्च न्यायालय और अनुसूचित जाति, जनजाति आयोगों का सहारा लिया जाएगा।
सोमवार को गुढिय़ारी में एक रिटायर्ड डीएसपी के आवास पर प्रभावित कर्मचारियों की बैठक हुई। इसमें आधा दर्जन से अधिक लोग शामिल हुए। उनका आरोप था कि दलित, आदिवासी और छत्तीसगढ़ मूल के कर्मचारियों को जानबूझकर टारगेट बनाया गया है। उनके खिलाफ कोई जांच तक नहीं चल रही है। वहीं दूसरी तरफ हत्या, रिश्वत, अनाचार मामले में जेल जा चुके अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाही तक नहीं की गई है। इन भ्रष्ट अफसरों को पुलिस मुख्यालय के अफसर का संरक्षण मिला हुआ है।
निरीक्षक जया कुर्रे ने कहा,बड़ी ही इमानदारी के साथ उसने ड्यूटी की। उसकी लगन को देखते हुए विभाग के द्वारा पदोन्नति और मैडल भी दिया गया था। लेकिन, अचानक उसे सेवानिवृत्ति का आदेश थमा दिया गया। सहायक उपनिरीक्षक जगन सिंह कंवर और राजेन्द्र श्रीवास ने बताया कि उनके खिलाफ कोई गंभीर शिकायत नहीं है। बैठक के बाद सभी लोग राजभवन गए। वहां राज्यपाल से मिलने का समय नहीं मिलने से वे लोग शिकायत दिए बिना लौट आए।
राजनीति भी शुरू
आदिवासी कांग्रेस के प्रदेष अध्यक्ष शिशुपाल सोरी, अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष शिव डहरिया और पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष महेंद्र चंद्राकर ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार, कदाचरण और कर्तव्य में लापरवाही के आरोपों पर कार्रवाई स्वागत योग्य कदम है, लेकिन इस कार्रवाई की सूची देखने पर पक्षपात और वर्ग विशेष के प्रति दुर्भावना की बू आती है। ऐसा क्यों हुआ कि अनुशासन समिति में इन वर्गों से किसी भी अधिकारी को नहीं रखा गया।
जय छत्तीसगढ़ पार्टी के दिलीप चन्द्राकर ने भी कार्रवाई को आरक्षित वर्ग विरोधी बताया है। छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच ने कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है। मंच के राजकुमार गुप्त, भीखम भूआर्य आदि का कहना था कि इसकी जद में आए एक को छोड़कर सभी कर्मचारी-अधिकारी छत्तीसगढ़ मूल के दलित-आदिवासी हैं। इस बात की आशंका है कि इन्हें योजनाबद्ध ढंग से शिकार बनाया गया है।
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