गाडि़यों की जानकारी आते ही, परिवहन विभाग के फ्लाइंग स्क्वायड टीम को कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। कार्रवाई की रिपोर्ट प्रतिदिन परिवहन कार्यालय प्रमुख और मुख्यालय में टीम को जमा करनी होगी। मुख्यालय के अधिकारी कार्रवाई पर सीधी नजर रखेंगे और लापरवाही या शिकायत आने पर तत्काल जिम्मेदार अफसर पर कार्रवाई की जाएगी।
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परिवहन के अधिकारियों ने कार्रवाई पर नजर रखने के लिए पीयूसी सेंटरों को वाहन फोर साफ्टवेयर से जोड़ा है। पीयूसी सेंटर में जैसे अधिकारी वाहनों की जांच कराएंगे, रिपोर्ट साफ्टवेयर के माध्यम से संबंधित अधिकारियों तक पहुंची। रिपोर्ट पर अधिकारी निगरानी रखेंगे और उसी आधार पर कार्रवाई की जांच करेंगे।
12 लाख से ज्यादा गाड़ी रजिस्टर्ड
जिले में दो पहिया और चार पहिया लगभग 12 लाख से ज्यादा वाहन प्रदेश में दौड़ रहे है। इनमें से पुरानी गाडि़यां कितनी है? इसकी अधिकृत जानकारी मुख्यालय के निर्देश पर अधिकारी जुटा रहे है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो कंडम गाडि़यों के खिलाफ नवंबर माह के पहले हफ्ते से अभियान शुरू किया जा सकेगा। अभियान के तहत इंडस्ट्रियल इलाको में सरप्राइज चेकिंग भी अफसर करेंगे।
125 पीयूसी सेंटर प्रदेश में
परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो जिले में लगभग 125 पीयूसी सेंटर है। इनमें से केवल 20 से 25 सेंटर ही एक्टिव है। जांच ना होने के अभाव में जिम्मेदारों ने सेंटरों को बंद करके रखा है। विभागीय अधिकारी भी इन सेंटरों की जांच समय पर नहीं करते, जिस वजह से एक्टिव पीयूसी सेंटरों का डाटा भी विभाग के पास नहीं है। पीयूसी सेंटरों में हर 6 माह में पाल्यूशन की जांच करानी पड़ती है।
इतना लगता है जुर्माना
पीयूसी जांच का शुल्क परिवहन विभाग ने निर्धारित किया है। दो पहिया और तीन पहिया वाहन चालको पीयूसी जांच के बदले 60, चार पहिया वाहन का 80 रुपए और भारी वाहन का 100 रुपए देना पड़ता है। कार्रवाई के दौरान यदि वाहन चालक के पास पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं मिलता, तो दो पहिया वाहन चालक को 200 रुपए, तीन पहिया वाहन चालक को 600 रुपए और भारी वाहन चालक को 1500 रुपए जुर्माना भरना पड़ता है। जो वाहन जांच के दौरान ज्यादा धुंआ उगलते है, उन गाडि़यों को सीधे सीज करने का प्रावधान है।
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर धुआं फेकने वाली गाडि़यों की जानकारी जुटाने का निर्देश अधीनस्थ अधिकारियों को दिया है। जल्द अभियान चलाकर प्रदूषण फेकने वाली गाडि़यों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस की मदद भी कार्रवाई के दौरान ली जाएगी।
-शैलाभ साहू, आरटीओ
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