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नहीं बंटेगा प्रसाद
पूजा के बाद प्रसाद वितरण नहीं किया जा सकेगा। न ही ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाने की अनुमति होगी। खारुन नदी व मंदिर परिसर के आसपास थूकने पर कार्रवाही की जाएगी। इसके अलावा नदी के गहरे पानी में स्नान व पूजा अर्चना करने पर भी रोक लगा दी गई है। इसके अलावा नगर निगम और मेला समिति पूरा स्थल में पहुंचने वालों को सेनिटाइज करने को कहा गया गया है। निगम व मेला समिति द्वारा पूजा स्थल पर पीने का पानी और नदी में नाव व गोताखोर की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।
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धर्मशालाओं में रूकने पर रोक
कलेक्टर द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक मंदिर परिसर की धर्मशाला में किसी के भी रुकने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके अलावा मंदिर परिसर में वृद्ध व बच्चों के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा मंदिर परिसर में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करवाना और समय-समय पर सेनिटाइज कराना मंदिर समिति का दायित्व होगा।
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राजा के पुत्र प्राप्ति पर मेला का आयोजन
प्राचीन हटकेश्वर महादेव मंदिर में करीब 600 साल पहले 1428 के आसपास राजा ब्रह्मदेव का शासन काल में संतान प्राप्ति के बाद से खारून नदी तट पर पुन्नी मेला का आयोजन किया जाता था। उन्होंने हटकेश्वरनाथ महादेव से संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी। पुत्र प्राप्ति के बाद आसपास के गांव के हजारों लोगों को राजा ने आमंत्रित कर खारून तट पर भोजन व मनोरंजन के लिए झूलों को इंतजाम किया था। तब से कार्तिक माह की पूर्णिमा में खारुन नदी में पुण्य स्नान करने की मान्यता हो गई थी।