किसानों का कहना है कि इस कीट पर दवा असर नहीं कर रही है। मिर्च उत्पादक किसान पौधों को उखाड़कर फेकने के लिए मजबूर हो गए है। ज्यादा तापमान में पनपता है ये कीट इंदिरा गांधी कृषि विवि के वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लैक थ्रिपस कीट मिर्च के पौधे में अक्टूबर माह में पहली बार ब्लैक थ्रिप्स का प्रकोप की शिकायत मिली थी। कीटों का जीवन फूलों पर निर्धारित रहता है। पहली बार गुलाब की खेती में यह देखा गया था। उनका (CG NEWS) कहना है कि दिन व रात का तापमान ज्यादा होने पर यह तेजी से पनपता है। मिर्च की खेती करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। अब तक इसकी कोई कारगर दवा समझ में नहीं आई है। 27 सालों में पहली बार इस तरह के कीट का प्रकोप देख रहे हैं, जिस पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा है।
1600 से ज्यादा हेक्टेयर में खेती प्रदेश में मिर्च की फसल बीते सत्र 1600 हेक्टेयर में कराए जाने का लक्ष्य था। लक्ष्य के तहत प्रदेश के किसानों को दो योजनाओं के तहत अनुदान का लाभ दिया जा रहा है। प्रदेश में दो तरह की मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्च का उत्पादन प्रदेश के बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, जांजगीर चापा, कांकेर, महासमुंद, नारायणपुर, सुकमा,बलरामपुर, जशपुर, कोरबा, सूरजपुर, सरगुजा, बलौदा बाजार, गरियाबंद, दुर्ग, कबीरधाम, राजनांदगांव,बिलासपुर, जीपीएम, जगदलपुर, कोंडागांव और रायगढ़ में किया जाता है।
उत्पादन का असर कीमत पर टमाटर, नीबू, आम के बाद अब मिर्च की कीमत पर असर दिख रहा है। थोक (CG NEWS) में हरी मिर्च 50 से 60 रुपए प्रति किलो और शिमला मिर्च 80 से 90 रुपए किलो बिक रही है। सब्जी कारोबारी संघ के पदाधिकारी श्री निवास रेड्डी के अनुसार वर्तमान में जगदलपुर से मिर्च आ रही है। दुर्ग से आवक अभी बंद है।
ये सावधानी बरतें किसान – जहां तक संभव हो पायरेथ्रोइड्स समूह के दवाओं का उपयोग थ्रीप्स कीट के नियंत्रण के लिए न करें। – दवाइयों का छिड़काव बदलकर करें। किसी एक प्रकार की दवा का बार-बार छिड़काव न करें।
– एक से अधिक प्रकार के कीटनाशक, फफूंदनाशक, वृद्धिकारक दवाइयों को आपस में मिलाकर छिड़काव न करें। – आवश्यकता से अधिक नाइट्रोजन युक्त खाद का उपयोग न करें। – लाभकारी कीटों की आबादी को संरक्षित रखने कीटनाशकों का आवश्यकता से अधिक उपयोग न करें।