scriptराम वन गमन पथ के बाद अब छत्तीसगढ़ के हर निकायों में ’कृष्ण कुंज’ | After Ram Van Gaman Path, now 'Krishna Kunj' in Chhattisgarh | Patrika News

राम वन गमन पथ के बाद अब छत्तीसगढ़ के हर निकायों में ’कृष्ण कुंज’

locationरायपुरPublished: May 09, 2022 09:38:52 pm

Submitted by:

Dhal Singh

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के बाद अब कृष्ण कुंज की चर्चा है। दरअसल, नगरीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक महत्व वाले जीवनोपयोगी पौधों का रोपण किया जाएगा, जिसमें बरगद, पीपल, नीम और कदंब शामिल हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी कलेक्टरों को पौधरोपण के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए है। पौधरोपण स्थल का नाम ’कृष्ण कुंज’ होगा। आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में कृष्ण कुंज में वृक्षों का रोपण किया जाएगा।

राम वन गमन पथ के बाद अब छत्तीसगढ़ के हर निकायों में ’कृष्ण कुंज’

राम वन गमन पथ के बाद अब छत्तीसगढ़ के हर निकायों में ’कृष्ण कुंज’

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ के सभी नगरीय क्षेत्रों में ’कृष्ण कुंज ’ विकसित किए जाएंगे। कृष्ण कुंज में बरगद, पीपल, नीम और कदंब जैसे सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को ’कृष्ण कुंज’ विकसित करने के लिए वन विभाग को न्यूनतम एक एकड़ भूमि का आबंटन करने के निर्देश दिए हैं। आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ के लिए चिन्हित स्थल पर वृक्षों का रोपण प्रारंभ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ’कृष्ण कुंज’ के माध्यम से वृक्षारोपण को जन अभियान बनाने की पहल करते हुए कहा है कि हमारे देश में बरगद, पीपल, नीम, कदंब तथा अन्य वृक्षों की पूजा करने की अत्यंत प्राचीन परंपरा है। मनुष्य के लिये वृक्षों की अत्यधिक उपयोगिता होने के कारण ही हमारी परंपराओं में इन्हें महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। परंतु विगत वर्षों में नगरीय क्षेत्रों का तीव्र विकास होने के कारण वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई से वृक्षों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। अगर यही स्थिति जारी रही तो कदाचित भावी पीढ़ियों को इन वृक्षों के परंपरागत महत्व के बारे में जानकारी तक नहीं हो सकेगी, इसलिए वृक्षों की अमूल्य विरासत का संरक्षण हम सबका परम कर्तव्य है। यह अत्यंत आवश्यक है कि मनुष्य के लिये जितने भी जीवनोपयोगी वृक्ष हैं, उन्हें सभी नगरीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लगाया एवं संरक्षित किया जाये।
मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को नगरीय क्षेत्रों में ऐसे सांस्कृतिक महत्व वाले जीवनोपयोगी वृक्षों के रोपण हेतु उपयुक्त न्यूनतम 1 एकड़ शासकीय भूमि का आबंटन तत्काल वन विभाग को करने के निर्देश दिए हैं।
इसलिए नाम रखा गया ’कृष्ण कुंज’
मुख्यमंत्री ने कहा है कि वृक्षारोपण को जन जन से और अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने एवं विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका नाम ’कृष्ण कुंज’ रखा जाये। वन विभाग द्वारा आबंटित भूमि को विकसित करते हुए समस्त कार्यवाही इस प्रकार की जाये कि आगामी कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूरे राज्य में ’कृष्ण कुंज’ में वृक्षों के रोपण का कार्य विधिवत प्रारंभ किया जा सके।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो