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दो वर्षों बाद खुला पशु चिकित्सालय का ताला, कलेक्टर के निर्देश पर विभाग के उपसंचालक पहुंचे मैनपुर

locationरायपुरPublished: Jan 20, 2020 01:13:54 am

Submitted by:

dharmendra ghidode

गरियाबंद जिले के कलेक्टर श्याम धावडे ने मामले को गंभीरता से लेेते हुए जिला मुख्यालय में पदस्थ उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. डीएस धु्रव को सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को अपनी सेवाएं मैनपुर पशु चिकित्सालय में देने का निर्देश दिया।

दो वर्षों बाद खुला पशु चिकित्सालय का ताला, कलेक्टर के निर्देश पर विभाग के उपसंचालक पहुंचे मैनपुर

मैनपुर पशु चिकित्सालय में सेवा देते डॉक्टर।

मैनपुर. तहसील मुख्यालय मैनपुर के पशु चिकित्सालय में पिछले 2 वर्षों से कोई भी डॉक्टर नहीं होने से अस्पताल में हमेशा ताला लटका रहता था। क्षेत्र के पशु पालकों एवं किसानों ने गरियाबंद जिले के कलेक्टर से फरियाद करते हुए कहा था कि मैनपुर पशु चिकित्सालय में डॉक्टर की व्यवस्था किए जाने से पशु पालकों को काफी राहत मिल सकेगी।
इसे संज्ञान में लेते हुए गरियाबंद जिले के कलेक्टर श्याम धावडे ने मामले को गंभीरता से लेेते हुए जिला मुख्यालय में पदस्थ उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. डीएस धु्रव को सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को अपनी सेवाएं मैनपुर पशु चिकित्सालय में देने का निर्देश दिया। गरियाबंद कलेक्टर के निर्देश पर पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. डीएस धु्रव मैनपुर पहुंचकर अस्पताल में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान क्षेत्रभर के पशु पालकों ने अनेक समस्याओं से उन्हें अवगत कराया। धु्रव ने जल्द ही मैनपुर अस्पताल में डॉक्टर की समस्या का समाधान करने की बात कही है और सप्ताह में पांच दिन मैनपुर अस्पताल में डॉक्टर की व्यवस्था जल्द करने का आश्वासन दिया। वर्षों से इन शासकीय पशु चिकित्सालयों में डॉक्टर और अन्य स्टॉफों की कमी से क्षेत्र के पशु पालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दिए जाने से इन अस्पतालों से कुटकुट पालन, नश्ल सुधार, सुकर पालन, डेरी पालन जैसे महत्वूपर्ण योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को नहीं मिल पा रहा था, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशु पालन के क्षेत्र में अनेक योजनाए संचालित की जा रही है, जिसका लाभ लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने जीवन स्तर एवं जीवीकोर्पाजन कर सकते हैं। क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ क्षेत्र है और वन्य प्राणियों की मौत हो जाने पर पोस्टमार्टम के लिए राजिम, गरियाबंद और देवभोग से डॉक्टर बुलाना पडता है, तब कहीं जाकर वन्य प्राणियों का पोस्टमार्टम हो पाता है।
ब्लॉक में तीन पशु चिकित्सालय, नहीं है डॉक्टर
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर में तीन स्थानों पर पशु चिकित्सालय है, जिसमें मैनपुर, उरमाल और अमलीपदर में वर्षों से पशु चिकित्सालय संचालित हो रहस है, लेकिन इन पशु चिकित्सालयों में पिछले कुछ वर्षों से डॉक्टर, सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी, ड्रेसर, परिचारक जैसे महत्वपूर्ण स्टॉफ की कमी बनी हुई है, जिसके चलते पशु चिकित्सालयों में लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि इन अस्पतालों में 73 ग्राम पंचायतों के 177 ग्रामों के लाखों पशु पालक आश्रित हैं। उपसंचालक डॉ. ध्रुव ने बताया कि मैनपुर विकासखंड के सभी पशु चिकित्सालय एंव पशु औषधालयों में डॉक्टर एवं पर्याप्त स्टॉफ की समस्याओं से गरियाबंद जिला के कलेक्टर को अवगत कराऐंगे। उन्होंने कहा कि विकासखंड क्षेत्र में लगभग 70 हजार मवेशी है और शासन की योजनाओं का लाभ भी समय-समय पर क्षेत्र के लोगों को मिल रहा है। मैनपुर के अधूरे भवन की कमी को दूर करने के लिए भी प्रयास किया जाएगा। धु्रव ने आगे बताया कि 1 से 30 फरवरी तक खुरहा चपका, टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा और मैनपुर में सप्ताह में 5 दिन डॉक्टर रहे, ऐसी व्यवस्था की जा रही है।
डॉ. डीएस धु्रव, उपसंचालक, पशु चिकित्सा विभाग, मैनपुर
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