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17 करोड़ का घोटाला छुपाने और 10 आरोपी अधिकारियों को बचाने के लिए विधानसभा में दिया गलत जवाब, RTI से हुआ खुलासा

locationरायपुरPublished: Feb 10, 2020 03:41:49 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

उत्तर में सभी विभागों द्वारा जानकारी निरंक होना बताया है। जबकि कृषि विभाग की जांच में ही यह पाया गया है की असंबद्ध सहकारी समितियों से न सिर्फ खरीदी की गयी है बल्कि अनुदान का भुगतान भी समितियों को किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है इसी घोटाले का खुलासा 2018 में विधानसभा में ही हुआ था।

17 करोड़ का घोटाला छुपाने और 10 आरोपी अधिकारियों को बचाने के लिए विधानसभा में दिया गलत जवाब, RTI से हुआ खुलासा

17 करोड़ का घोटाला छुपाने और 10 आरोपी अधिकारियों को बचाने के लिए विधानसभा में दिया गलत जवाब, RTI से हुआ खुलासा

रायपुर. कृषि और उद्यान एवं पशुपालन विभाग में हुए 17 करोड़ के घोटाले के 10 आरोपी अधिकारियों के बचाने के लिए विभाग के ही जिम्मेदारों ने बड़ा करनामा कर दिया है। घोटाले के संबंध में विधान सभा तक में गलत जानकारी दे दी गई। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कृषि उपकरण खरीदी के घोटाले की जांच के संबंध में गलत जवाब देने की जानकारी सामने आई है।

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विधानसभा नवंबर 2019 सत्र में सत्यनारायण शर्मा के द्वारा प्रशन क्रमांक 723 के कृषि उपकरण खरीदी के विषय पर कृषि, उद्यान सहकारिता एवं पशुपालन विभाग से जानकारी मांगी थी कि उक्त विभागों द्वारा जिला सहकारी बैकों से असंबद्ध समितियों से सामग्री खरीद कर समितियों को अनुदान दिया है।

इसके उत्तर में सभी विभागों द्वारा जानकारी निरंक होना बताया है। जबकि कृषि विभाग की जांच में ही यह पाया गया है की असंबद्ध सहकारी समितियों से न सिर्फ खरीदी की गयी है बल्कि अनुदान का भुगतान भी समितियों को किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है इसी घोटाले का खुलासा 2018 में विधानसभा में ही हुआ था।

शासन द्वारा गलत जानकारी भेजने संबंधी स्थिति ज्ञात होने पर सभी विभागअध्यक्षों को नोटिस जारी किया गया है किन्तु अन्य कोई कार्यवाही नही की गयी है। जानकारी होने के बाद भी गलत उत्तर भेजने के पीछे चहेते अधिकारियों को बचाने की मंशा बतायी जा रही है। यह भी पता चला है की आरोपी अधिकारियो में से कुछ अधिकारी पदोन्नत भी हो चुके है।

पहले ही हो चुका है खुलासा

2018 में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए टीएस सिंहदेव ने घोटाले का खुलासा विधानसभा में किया था। जिसमें किसानों और उनकी योजनाओं के भौतिक सत्यापन लाभांवित किसानों की कुल संख्या 3239 थी, जिनमें 2152 किसानों को योजना का लाभ मिला ही नहीं मिला था। उनके अनुदान की राशि निकालकर हड़प ली गयी थी।

जो करीब 50 करोड़ से ज्यादा आंकी गई। हजारों किसानों की सब्सिडी किसानों के खातों में आई और गुपचुप निकल भी गई। घोटाला यही नहीं थमा, हजारों किसानों के नाम पर कृषि यंत्रों का वितरण भी हो गया। कागजी खानापूर्ति भी हो गई, लेकिन कृषि यंत्र किसानों के हाथों में नहीं दिए गए। जिले सरगुजा, कांकेर और बिलासपुर में बड़े पैमाने पर धांधली उजागर हुई थी।

अनुदान का सीधा भुगतान

कृषि विभाग द्वारा सन 2010 में किसानों को स्वयं खरीदी करने और अनुदान बैंक खाते में प्राप्त करने की व्यवस्था भी लागू की गई थी। इस संबंध में आदेश जारी होने के बाद विशेष तौर पर बस्तर और सरगुजा संभाग में किसान का विकल्प बता कर विभागीय अधिकारियों ने सीधे या तो निजी विक्रेताओं से या सहकारी बैंक से असंबद्ध समितियों से सामग्री खरीदना और अनुदान का सीधा भुगतान करने का कार्य शुरू कर दिया था।

एक विभाग सिर्फ जांच में अटका, दूसरे ने तो जांच भी शुरु नहीं की

वर्ष 2018 में विधानसभा प्रश्न में यह खुलासा हुआ की असंबद्ध समितियों एवं निजी प्रदायकर्ताओं से खरीदी कर भंडार क्रय नियम का उल्लंघन किया गया है। इस गतिविधि में राज्य के 20 से अधिक जिले लिप्त पाए गए। शासन के निर्देश पर इस प्रकरण की जांच संभागों के संयुक्त संचालक कृषि से करायी गयी जिसमे जांच अधिकारियों ने नियम विरुद खरीदी को प्रमाणित किया। सभी आरोपी अधिकारियो को शासन स्तर से कारण बताओ सूचना पत्र भी जारी किया गया है और छानबीन की जा रही है। यह कार्यवाही केवल कृषि विभाग द्वारा की जा रही है। उद्यान एवं पशुपालन विभाग में अभी तक कोई जांच भी शुरू नही की गयी है।

आरोपी अधिकारियों को नोटिस जारी कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है। जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-रविंद्र चौबे, मंत्री, कृषि विभाग

विधान सभा में गलत जानकारी प्रस्तुत करना विशेषाधिकार का हनन है। एेसे अधिकारी जिन्होंने गलत जानकरी विधान सभा को दी उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। आप मुझे पूरा प्रकरण दीजिए अगली सभा में मैं मंत्री से उक्त मामले पर कार्रवाई की मांग करूंगा।

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