निभा रहे सबसे बड़ा धर्म
कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी मरीज का इलाज ही हमारा धर्म है। अभी का जो दौर है उसमें हम अपने धर्म को निभा रहे हैं। ये जरूर है कि हम अपनी फैमिली को वक्त नहीं दे पा रहे। उनसे वीडियो कॉलिंग और वॉट्सेप से बात होती है। लेकिन हमारी फैमिली भी इस बात को समझती है कि हम जिस मिशन में लगे हैं उससे बड़ा कुछ नहीं।दूरियां बहुत कुछ सिखाती है
डॉक्टर्स ने कहा कि दूरियां बहुत कुछ सिखाती हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ हम अपने परिवार से दूर हैं। देशभर में यही स्थिति है। कोई न कोई अपनों से दूर है। अभी सबसे सेफ्टी की बात ये है कि जो जहां है वह वहीं रहे। सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है। घर जाने से पहले रहेंगे कोरेंटाइन में अस्पताल प्रबंधन की मानें तो जिन डॉक्टरों की ड्यूटी कोरोना मिशन में लगी है वे घर जाने से पहले कोरेंटाइन में रहेंगे। हालांकि उनका रोज चेकअप भी हो रहा है। अभी एक महीने तक वे घर नहीं जाएंगे। मिशन इंचार्ज को एक छोटा सा रूम दे दिया गया है।लगातार 56 घंटे काम का है अनुभव : डॉ. नागरकर
एम्स के डॉयरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर ने कहा कि जबसे चीन में यह वायरस एक्टिव हुआ और भारत में दाखिल हुआ तबसे हम अलर्ट हैं। हम कोरोना से मुकाबला करने पूरी तरह तैयार हैं लेकिन लोगों में भी अवेयरनेस होनी चाहिए। उनके लिए सबसे सुरक्षित स्थान है घर। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जबसे रायपुर में कोरोना पॉजिटिव पाया गया नींद में फर्क आया है। 4 से 5 घंटे ही सो पा रहे हैं। हालांकि नहाने के बाद फ्रेश फील करते हैं। घर और दफ्तर दोनों हॉस्पिटल ही है। मैंने यूके में 56 घंटे तक लगातार काम किया है, अब वहां का नियम बदल गया है। अभी कोरोना से जंग के लिए तीन टीमें काम कर रही हैं जिसमें 40 डॉक्टस और तकनीकी अधिकारी हैं। अभी थोड़ी देर पहले ही मैंने मंत्रीजी से स्काइप वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की है। हमारे डॉक्टर भी घर नहीं जा रहे हैं, वे वीडियो कॉलिंग से ही परिवार के टच में हैं। किसी भी मिशन के लिए ठोस प्लानिंग की जरूरत होती है, जो कि हमने की हुई है।