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कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों का प्लाज्मा कलेक्ट करेगा एम्स

locationरायपुरPublished: Jun 01, 2020 07:52:39 pm

कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों की जान बचाने की कवायद, प्रदेश में अब तक 113 लोग हो चुके हैं ठीक

कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों का प्लाज्मा कलेक्ट करेगा एम्स

Aiims Raipur

अभिषेक राय @ रायपुर. एम्स रायपुर कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों का प्लाज्मा कलेक्ट करेगा, ताकि प्लाज्मा थैरेपी से संक्रमित गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके। इस इलाज में प्रयुक्त होने वाली एक मशीन के लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना की जंग जीतने वाले मरीजों की सहमति से 15 जून से पहले प्लाज्मा कलेक्ट करने का काम शुरू हो जाएगा। प्रबंधन ने राजधानी समेत दुर्ग, राजनांदगांव, बलौदाबाजर समेत कई जिलों के डिस्चार्ज हो चुके 20 से ज्यादा डोनर से बातचीत भी कर लिया है। जो प्लाज्मा देने को तैयार हैं।
प्रदेश के लिए राहत की बात है कि एक मरीज को छोड़कर अभी तक कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज नहीं मिले हैं, जिन्हें वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी हो। प्रदेश में 113 लोग कोरोना को मात देकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति जब ठीक हो जाता है, तो कम से कम 28 दिनों के अंतराल पर वो प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। एक डोनर के प्लाज्मा से दो लोगों की जान बचाई जा सकती है। कोरोना संक्रमित गंभीर रोगियों पर प्लाज्मा थैरेपी का क्लीनिक ट्रायल करने के लिए एम्स तैयार है। प्लाज्मा थैरेपी के अंतर्गत जो लोग कोरोना वायरस को मात दे चुके हैं, उनके खून से प्लाज्मा निकाला जाता है। इसके बाद उसे दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को डोनेट किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो एक मरीज को ठीक करने के लिए लगभग 200 से 250 मिली प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है। वहीं, इस थैरेपी के इस्तेमाल से मरीज 3 से 7 दिनों के भीतर ही स्वस्थ हो जाता है। प्लाज्मा थेरेपी सेे कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इथिकल कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका है। एम्स के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासनिक) निरेश शर्मा का कहना है कि कोविड लैब में अभी चार आरटी-पीसीआर मशीनें हैं। तीन मशीनों से कोरोना सैंपल की जांच की जाती है। एक से स्वाइन फ्लू की जांच होती है।
प्लाज्मा के लिए एफ्रेसिस मशीन

प्लाज्मा को सुरक्षित रखने के लिए एम्स के ब्लड बैंक में तैयारी की जा रही है। बताया जाता है कि ब्लड बैंक में एक एफ्रेसिस मशीन उपलब्ध है, दूसरी के लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया है, जिसकी जल्द आने की संभावना जताई जा रही है। करीब 30 लाख की कीमत वाली एफ्रेसिस मशीन से मरीज के शरीर से आवश्यकतानुसार ब्लड कंपोनेंट जैसे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आरबीसी आदि निकाला जा सकता है। शरीर से रक्त बाहर निकालकर ब्लड सेपरेटर मशीन से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, आरबीसी को अलग करने की जरूरत नहीं होगी।
एम्स, रायपुर के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने बताया कि कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज मिलने पर प्लाज्मा थैरेपी का क्लीनिक ट्रायल करने के लिए डॉक्टर तैयार हैं। एम्स में अभी तक जितने मरीज आए हैं या भर्ती हैं, उसमें से किसी को अब तक ऑक्सीजन या वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ी है। प्लाज्मा को कलेक्ट करने की तैयारी की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक एवं प्रवक्ता डॉ. अखिलेश त्रिपाठी प्रदेश में अभी तक कहीं से गंभीर मरीज नहीं मिले हैं, जिनको ऑक्सीजन या वेंटीलेटर की जरूरत पड़ी हो। मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार है।
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