वहीं अंगदान में मिली दोनों कार्निया को एक आई बैंक और हार्ट के टिशू सत्य साईं हॉस्पिटल के कार्डियक बैंक में सुरक्षित रखवा दिया गया है। हफ्तेभर में दो कैडेवर डोनर मिलने से छह लोगों में किडनी व लीवर का ट्रांसप्लांट हो चुका है। वहीं दो लोगों को आंखों की नई रोशनी मिली है। अभी भी दो कार्निया और हार्ट के टिशू जरूरमंद मरीजों में ट्रांसप्लांट के लिए सुरक्षित रखे गए हैं।
बताया जाता है कि 22 वर्षीय युवक मूलत: रायगढ़ जिले का रहने वाला था। यहां से युवक का परिवार जगदलपुर शिफ्ट हो गया था। कुछ दिन पहले सड़क हादसे में युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके बाद उसे जगदलपुर से पचपेड़ीनाका स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में रेफर किया गया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने शुक्रवार को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की टीम ने परिजनों को देहदान करने की समझाइश दी। ऐसे में परिजन मान गए। इसके तत्काल बाद पूरी टीम को अलर्ट कर ऑर्गन निकालने की प्रक्रिया शुरू की गई। शुक्रवार को देर रात तक ऑर्गन निकाले गए। वहीं शनिवार सुबह से ही ट्रांसप्लांट शुरू किया गया।
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के जूनियर डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है। 55 और 60 साल के मरीजों की महाधमनी विच्छेदन (एओर्टिक डिसेक्शन) हो जाने पर कार्डियक प्रोसीजर कर उन्हें नई जिंदगी दी गई। एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में जूनियर रेजिडेंट अनन्या दीवान एवं डॉ. गुरकीरत अरोरा ने सफल सर्जरी की है। एओर्टिक डिसेक्शन की गंभीर स्थिति में आए धमतरी निवासी 60 वर्षीय मरीज की स्थिति में उपचार के जरिए सुधार करके टीएवीएआर (ट्रांस क्यूटेनियस एओर्टिक रिपेयर) नामक कार्डियक प्रोसीजर किया गया। डॉक्टरों की टीम ने आधी रात को गंभीर स्थिति में आए वृद्ध की सतत निगरानी और उपचार के ज़रिए ठीक किया। इसके अलावा इसी प्रोसीजर से 55 वर्षीय एक महिला की भी सर्जरी की गई।
गंभीर हालत में निजी अस्पताल से कर दिया गया रेफर: एसीआई के रेसिडेंट डॉ. अनन्या दीवान ने बताया कि मरीज चार-पांच दिन पहले एक निजी अस्पताल से रेफर होकर आया था। निजी अस्पताल में उसकी स्थिति बिगड़ गई थी। इसके बाद ऑपरेट करने के बजाय मरीज के परिजनों को आंबेडकर अस्पताल जाने कह दिया गया। मरीज जब एसीआई में पहुंचा तो उसकी यूरिन पास होनी बंद हो गई थी, ब्लड प्रेशर 200-140 हो गया था। मरीज का एऑर्टा (महाधमनी) हार्ट के निकलने से कुछ दूर पहले ही फट गया था। उसके अंदर का एक फ्लैप फटकर बायीं जांघ के अंदर चला गया था। एसीआई के डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू किया। पहले ब्लड प्रेशर डाउन करने की दवा शुरू की गई। धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर को नीचे लाया गया। इसके बाद उसकी सर्जरी की गई। इमरजेंसी में मरीज के इलाज के लिए करीब 5 लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की गई।
चुनौती भरी रही सर्जरी
संयोगवश इसी दिन एक और महिला मरीज छाती की एऑर्टा फटी हुई अस्पताल पहुंच गई। दोनों मरीजों की फटी हुई महाधमनी को कवर स्टेंट से रिपेयर किया। इस विधि को ट्रांस क्यूटेनियस एओर्टिक रिपेयर कहा जाता है। डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया की सफलता का श्रेय दोनों रेजिडेंट डॉक्टर को जाता है, जिनकी मदद से मरीज को स्टेबल किया गया। यदि मरीज स्टेबल नहीं होता तो प्रोसीजर नहीं कर पाते। ल्यूमेन को खोलना अपने आप में चुनौती भरा रहा।